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सोनभद्र कार्यालय

सोनभद्र। 29 अगस्त को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का 115 वीं जयंती हैं । ऐसा कोई ही होगा जो मेजर ध्यानचंद जी का नाम न जानता हो । अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेटर लव वर्मा ने देश की जनता और भारत सरकार से अपील की है कि देश के सबसे सर्वोच्च पुरस्कार ” भारत रत्न ” को अब तो मेजर ध्यानचंद को देना चाहिए । भारतीय फील्ड हॉकी के भूतपूर्व खिलाड़ी एवं कप्तान थे, भारत एवं विश्व हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाडड़ियों में उनकी गिनती होती है। वे तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे ( जिनमें १९२८ का एम्सटर्डम ओलम्पिक , १९३२ का लॉस एंजेल्स ओलम्पिक एवं १९३६ का बर्लिन ओलम्पिक)। उनकी जन्मतिथि को भारत में “राष्ट्रीय खेल दिवस” के रूप में मनाया जाता है। 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में जन्म हुआ और 3 दिसम्बर 1979 को इनकी मृत्यु हुई ।

2014 में मेजर ध्यानचंद के नाम की सिफ़ारिश को ठुकराते हुए तत्कालीन यूपीए सरकार ने क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को ‘भारत रत्न’ दे दिया था ।
आरटीआई से मिली जानकारियों के मुताबिक 2013 में मेजर ध्यानचंद का बायोडेटा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यालय में कई महीने पहले ही पहुंच चुका था. उस पर पीएम की स्वीकृति भी मिल चुकी थी लेकिन बाद में अचानक सचिन के नाम पर मुहर लगा दी गई.मेजर ध्यानचंद के पुत्र और पूर्व ओलम्पियन हॉकी खिलाड़ी अशोक कुमार बताते हैं कि “पूर्व क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल 12 जुलाई 2013 को तत्कालीन खेल मंत्री जितेंद्र सिंह से मिल कर भारत रत्न ध्यानचंद को दिए जाने की मांग के साथ ध्यानचंद जी का एक बायोडेटा सौंपा, जिस पर खेल मंत्री से लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक की सहमति रही. अनौपचारिक रूप से मुझसे कहा गया कि ध्यानचंद को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा कुछ माह में ही कर दी जाएगी. लेकिन, बाद में पासा ही पलट गया।

लव वर्मा ने बताया कि ऐसा क्या कारण रहा कि जिसने अपने देश के लिए अनगिनत कीर्तिमान स्थापित किये उन्हें इतने बड़े सम्मान से वंचित रखा गया है भारत सरकार के साथ देश की जनता को भी इस पर अमल करना बहुत जरूरी है ।