Loading

भोलानाथ मिश्र-
सोनभद्र (ब्यूरो)। किसी ने ठीक ही कहा है, फूलों की तरह, जिनके किरदार नहीं होते, वो लोग मुहब्बत के हकदार नही होते। संयुक्त अधिवक्ता महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष और सोनसाहित्य संगम के संयोजक कवि, पत्रकार राकेश शरण मिश्र एडवोकेट ऐसे ही किरदार है, जिन्हें वकील, साहित्यकार, पत्रकार और राजनीतिक क्षेत्र के लोग उन्हें मोहब्बत का हकदार समझते है। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी इस बाल कवि के मन में लगता है, जैसे सारे जहाँ की पीर समाई हो। जिनका कोई नहीं उनके लिए खड़े रहने की आदत ने ही शायद उन्हें 16 जुलाई 2017 को सोन साहित्य संगम संस्था के सृजन के लिए प्रेरित किया। जिसके जरिए अब तक अनेक अँकुरित हो रहे कवियों को अनगिनत मंच प्रदान कर उन्हें स्थापित कराने के अभियान को जारी रखा है। जगह-जगह कवि गोष्ठियों का आयोजन कराकर वाराणसी और विन्ध्याचल मण्डल के स्थापित कवियों के साथ नए कवियों का संगम कराकर उन्हें उनकी पहचान दिलाने के सिलसिले को कभी रोकना नही चाहते।
संघर्ष के साथी जोर जुर्म के टक्कर में संघर्ष के साथी एडवोकेट राकेश शरण कभी पीछे हटे हों, ऐसा इतिहास अभी तक तो संज्ञान में आया ही नही। यूपी के किसी भी जिले में किसी वकील के खिलाफ किसी भी प्रकार का उत्पीड़न, अन्याय, पुलिस बरबर्ता हो ये अग्रेशर हो कर आंदोलन की मशाल प्रज्वलित करने में तनिक भी देर नही करते। मुख्यमंत्री, राज्यपाल समेत प्रधानमंत्री तक गुहार लगाते रहते है।
कोरोना काल कोरोना वायरस के कारण तकरीबन ठप पड़ी नए वकीलों की आमदनी से चिन्तित सर्वोदय पार्टी के इस जिला अध्यक्ष ने प्रदेश सरकार के मुखिया गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ से विशेष पैकेज की मांग कर चुके है।
सनातन सँस्कृति के उपासक
शंकराचार्य परिषद द्वारा सनातन धर्म संरक्षण समिति के विन्ध्याचल मण्डल के संयोजक श्री मिश्र का ऐलान है, जाति तोड़ो, समाज जोड़ो। कहते है, न तो बफे सिस्टम में भोजन ग्रहण करूँगा, न ही अपने यहाँ किसी को बफे सिस्टम से भोजन कराऊंगा ही। दोना, पत्तल, पुरवा में पंक्ति में बैठ कर भोजन मंत्र के साथ भोजन करना और कराना समय की मांग है। इससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होगा। संयुक्त मानवाधिकार संघ के वरिष्ठ राष्ट्रीय महामंत्री की जिम्मेदारी निभाने में तनिक भी पीछे न रहने वाले, जन भावना उत्तर प्रदेश के व्यूरोचीफ राकेश शरण ऐसी कोई मानवी त्रासदी नही गुजरी होगी जिसमें अपनी सम्वेदनाओं के साथ अपने क्रियात्मक रूप में सक्रिय न दिखे हो। चाहे डोक लाम हो या चीन के साथ 20 सैनिकों का बलिदान हो ये अपनी क्रिया प्रतिक्रिया से हाजिर रहते है।
प्रेरणा के स्रोत
बाल्यकाल गाजीपुर में और पढ़ाई राबर्ट्सगंज में करने वाले राकेश कक्षा 11 में ही, साँझ होने लगी, दीप जलने लगे शून्य से आ अँधेरे बिखरने लगे कविता रच कर पीडब्लूडी में लिपिक के पद पर कार्य करने वाले अपने पूज्य पिता जी को एहसास करा दिए थे कि आगे चलकर इन्हें क्या करना पसंद है। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज, मीडिया फोरम ऑफ इंडिया, असुविधा, शहीद स्थल प्रबंधन ट्रस्ट करारी और गीत कस्तूरी साहित्यिक संस्थाओं समेत अन्य सम्मानों से सम्मानित हो चुके युवा कवि श्री मिश्र वरिष्ठ साहित्यकार रमाशंकर पाण्डेय विकल को अपना गुरु मानते है। योगेश शुक्ल और मीडिया फोरम ऑफ इंडिया (न्यास) के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार और कवि मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी को मार्गदर्शक मानते है।
सादगी के प्रतिमूर्ति
अक्सर कुर्ता, पायजामा, सदरी पहनने के आदी वकील साहब सर पर गाँधी टोपी और ललाट पर मलयागिरि चंदन के बीच मे रोली लगाए मंद-मंद मुस्कुराते किसी को भी सहज ही हँसते हुए नुरानी चेहरे और सौम्यता से अपने आकर्षण में खींच ही लेते है।