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मातृ दिवस: (10 मई दिन रविवार)
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– बनी ही नहीं माँ की कोई कभीं परिभाषा।

(सोनभद्र कार्यालय)

सोनभद्र। मई माह का दूसरा रविवार ‘मातृ- दिवस’ ‘माँ’ को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। माँ की ममता को शब्दों में बांधना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। माँ का कोई मोल नहीं। वह अनमोल होती है। वह एक ऐसी ढाल होती है जो साथ है तो जीवन हमेशा चिन्तामुक्त रहता है।मातृ दिवस पर 68 वर्षीय रॉबर्ट्सगंज के अखाड़ा मुहाल की रहवासी पार्वती देवी के पुत्र 38 वर्षीय श्रृंगेश आनन्द जो काशी स्थित एक कम्पनी मे सेवारत है और इस समय अवकाश में घर आए हुए है। उन्होंने माँ के चरणों को चारोधाम बताते हुए कहा कि, “इसके रहते जीवन मे, कोई गम नहीं होता, दुनियाँ साथ दे ना दे पर माँ का प्यार कभी कम नहीं होता “।

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90 वर्ष की माँ फूलवन्ती देवी की सेवा करने वाले पगिया गाँव के उनके 62 वर्षीय पुत्र सोबाए के
पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट अमरनाथ मिश्र का कहना है कि माँ का स्थान संसार में कोई नहीं ले सकता। वह परिवार का सबसे मजबूत स्तम्भ होती है। रॉबर्ट्सगंज क्षेत्र पंचायत की
बभनौली कलां ग्राम पंचायत की 90 वर्षीया पतंगी देवी के 63 वर्षीय प्रवक्ता व पत्रकार पुत्र भोलानाथ मिश्र ने
कहा, माँ मेरी ‘शिक्षा गुरु’ भी हैं। रसोईघर में उपले की राख पर क क हरा सिखाया है।


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वही राजकीय इण्टर कालेज में शिक्षक विधुभूषण, प्रवीण और अंकुर अपनी माँ 60 वर्षीया प्रतिभा मिश्रा निवासी बभनौली कलां के बारे में कहा की, “कौन-सी वो चीज़ जो यहाँ नहीं मिलती। सब कुछ मिल जाता है लेकिन माँ नहीं मिलती”।
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मीडिया फोरम ऑफ इण्डिया के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष व वरिषठ पत्रकार मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी जीवन के 72 बसंत देख चुके हैं। उन्होंने अपनी माँ को याद करते हुए रॉबर्ट्सगंज स्थित अपने आवास पर कहा कि, “माँ की
ममता की कोई एक स्थायी परिभाषा कभीं बनी ही नहीं ।
माँ की आँखों के सागर में प्यार दुलार के मख़मली सहारा देने वाले पतवार अनगिनत कठिनाइयों से छुटकारा दिलाने वाले होते थे। बचपन की यादों में खोते हुए आगे कहते हैं, ‘ आज भी मेरी माँ की ममता स्मृतियों के ऊँचे-ऊँचें पहाड़ों के पीछे ढ़लती साँझ की तरह मेरे ज़ेहन में रोज उतरती रहती प्रतीत होती है। उसकी लाड-प्यार फूलों में बसी सुगंध सी मन में रची बसी हैं।

युवा पत्रकार किशन पांडेय व विनय सिंह ने माँ की महत्ता का वर्णन करते हुए कहा कि जो बना दे सारे बिगड़े काम माँ के चरणो में होते चारो धाम।