(सोनभद्र कार्यालय)
– कीमत चुकाते आ रहे स्वतंत्रता को लेकर पत्रकार
सोनभद्र। कुछ करने की भी क़ीमत चुकानी
पड़ती है और कुछ न करने की भी क़ीमत चुकानी पड़ रही है। अब फैसला आप का है। याद रहे आप कलमकार हैं। एक कमजोर पत्रकार कभी सच्चाई का साथ नहीं देता और पीत पत्रकारित कभी देश के साथ खड़ी नही हो सकती। उक्त बाते मीडिया फोरम ऑफ इंडिया के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ने रविवार को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर ई-प्लेटफार्म पर आयोजित गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कही। विचार मंथन में पूर्व मे पत्रकारिता करते हुए अपनी जान गवां देने वाले पत्रकारों के कृतित्त्व-व्यक्तित्व पर वक्ताओं ने
मोबाइल फोन, लैपटॉप और टेबलेट प्लेट फार्म से अपने विचार रखे।
स्वतंत्र पत्रकार भोलनाथ मिश्र ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा 1991 में यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र के ‘ जन सूचना ‘ विभाग ने अंतराष्ट्रीय प्रेस
स्वतंत्रता दिवस तीन मई को मनाने का निर्णय लिया था। तभी से आज तक इस दिवस पर विचारो का आदान प्रदान होता चला आ रहा है।
पत्रकार परमेश्व दयाल श्रीवास्तव ‘पुष्कर’ ने भारत और जनपद में निष्पक्ष पत्रकारिता करने के दौरान पत्रकारों पर हुए हमलों की याद दिलाई। इस दौरान पत्रकारिता के शलाका पुरुष गणेश शंकर विद्यार्थी के बलिदान को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई और विकीलीक्स समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय घटना कर्मो पर प्रकाश डाला गया।
पत्रकार राकेश शरण मिश्र एवं फोरम के जिलाध्यक्ष राजेश गोस्वामी ने स्वाधीनता आंदोलन में पत्रकारों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए भारत रत्न शिवप्रसाद गुप्त व पण्डित मदन मोहन मालवीय आदि के योगदान पर विवेचना पूर्ण प्रकाश डाला।
युवा पत्रकार किशन पाण्डेय ने कहा कि लोकतंत्र में प्रेस की स्वतंत्रता पर पहले भी कुठाराघात हुआ है और आज भी उसकी मौलिकता को प्रभावित करने के प्रयास जारी हैं। श्री पांडे ने प्रेस की स्वतंत्रता बनाए रखने की अपील सोनांचल के युवा पत्रकारों से की है।
अपने अध्यक्षीय उदबोधन में फोरम के यू पी प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रमणि शुक्ल ने पत्रकारों पर हो रहे सरकारी, गैर सरकारी, राजनीतिक दलों और उन्मादी भीड़ द्वारा हमलों की चर्चा करते हुए स्वतंत्र प्रेस पर कुठाराघात बताया। उन्होंने कुछ राजनीतिक दलों द्वारा हाल ही में पत्रकारों पर प्राथमिकी दर्ज़ कराने पर अफ़सोस ज़ाहिर किया।
ऑन-लाइन व्हाट्सएप प्लेट फार्म पर हुई विचार गोष्ठी में यह तय पाया गया कि प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रत्यक्ष , परोक्ष , संकेतात्मक , कानून बनाकर , बयान दे कर जो भी हमला किया जाएगा। उससे लोकतंत्र की मूल भावना और एक आम आदमी की
आवाज़ नक्कार खानें में तूती की आवाज़ बनकर डूब जाएगी ।निजामत भोला नाथ मिस्र ने किया। अंत मे विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की इस ई-प्लेटफार्म पर हूई गोष्ठी मे प्रेस की स्वतंत्रता पर बाहरी तत्वो के हमले से बचाव और प्रेस की सेवा करते हुए शहीद दिवंगत पत्रकारो को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।