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अर्पित दुबे करमा ककराही

सोनभद्र। स्थानी करमा थाना क्षेत्र के ककराही मार्केट के किसान सेवा सहकारी संघ केकराही के प्रांगण में विगत वर्षों की इस वर्ष भी 16 मार्च से कथा प्रारंभ। जिसमें द्वितीय दिवस की रामकथा में मानस माधुरी साध्वी ऋचा शुक्ला ने श्रोताओं को शिव कथा की ज्ञान गंगा में स्नान कराते हुए। कुंभज ऋषि द्वारा शिव जी की कथा सुनाने और सती जी के कथा न सुनने का वर्णन किया ।भगवान शिव कैलाश से कुंभज ऋषि के आश्रम सती जी के साथ राम कथा सुनने गए। शिव जी ने तो कथा सुनी परंतु माता सती ने कथा नहीं सुनी क्योंकि सती जी के मन में संदेह उत्पन्न हो गया। कि घड़े से पैदा हुआ व्यक्ति क्या कथा सुनाएगा क्योंकि रामकथा तो अथाह समुंदर है और उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि जो व्यक्ति स्वयं हम लोगों को प्रणाम और वंदन करता है वह हमें क्या कथा सुनाएगा। फिर सोचा कि कथा हम घर पर ही सुन लेते हैं। यहां सुनने की क्या जरूरत है ।
अगला कारण स्त्री स्वभाव और
पंचम कारण दक्ष, बुद्धिमान की बेटी बुद्धि है। अतः बुद्धि से राम को नहीं जाना जा सकता। इन्हीं सब कारणों से सती जी ने कथा नहीं सुनी अर्थात शिव जी ने कथा सुनी तो उन्हें रामजी से स्नेह हुआ और सती नहीं सुनी तो उन्हें सन्देह हुआ। तत्पश्चात कथा सम्राट ध्रुव जी अयोध्या से पधारे अपने दूसरे दिन के राम कथा की ज्ञान गंगा में श्रोताओं को डुबकी लगाते हुए कहा कि हमें दो चीजें नहीं छोड़ना चाहिए ।पहला अतिथि सत्कार दूसरा अपना धर्म क्योंकि जब विश्वामित्र जी अयोध्या में पधारे थे तो अयोध्या के राजा दशरथ ने उनका अनेक प्रकार से सत्कार किया था। और जहां तक धर्म की बात आती है तो दशरथ जी के वंशज रहे हरीश चंद्र जी ने अपने धर्म की रक्षार्थ खुद को डोम के हाथों बिक कर श्मशान घाट की रखवाली करने लगे ।अपने बेटे को दक्षिणा चुकाने के लिए वेश्या के हाथों बेच दिया और धर्म रक्षार्थ अपने पत्नी तारा को एक वृद्ध ब्राह्मण के हाथों बेच दिया। अपने राजधानी का त्याग कर दिया परंतु धर्म को ठेस पहुंचने नहीं दिया। ध्रुव जी ने कहा कि इसी प्रकार से हमें अपने धर्म कर्म नहीं छोड़ने चाहिए क्योंकि धर्म धन लाभ होता है और धन वृद्धि होती है फिर अभिषेकात्मक रूद्र महायज्ञ की आरती गायन अभिषेकात्मक रुद्र महायज्ञ यज्ञ आचार्य पंडित प्रशांत त्रिपाठी, पंडित हरिराम मिश्र, द्वारा कराया गया आरती पूजन यजमान प्रधान राजू केसरी एवं पत्नी आशा देवी के साथ किया गया ।इस अवसर पर समस्त आचार्य ज्ञान ग्रामवासी क्षेत्रवासी एवं राम अनुरागी भक्त काफी संख्या में उपस्थित रहे जिसमें भरत लाल वर्मा, कृष्ण मुरारी मिश्रा ,ओम प्रकाश वर्मा, ओम प्रकाश पटेल ,संदीप केसरी, गोलू केसरी, विनोद विश्वकर्मा, मनोज विश्वकर्मा, गोपीनाथ केसरी, दुखहरण भारती के साथ साथ काफी सख्या में भक्त गणउपस्थित रहे