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घोरावल/संवाददाता

सोनभद्र। जिले की घोरावल तहसील की स्थापना आज से लगभग २०वर्ष पूर्व हुई थी, यह जिला मुख्यालय से लगभग ३५ किमी० दूर है साथ ही क्षेत्रफल की दृष्टि से भी मानक से अधिक है यह तहसील सम्पूर्ण मानकों को पूरा करता है बावजूद इसके २० वर्ष बाद भी सरकार अब तक न्यायालय की स्थापना नहीं कर पाई।
न्यायालय स्थापना के लिए समय समय पर अधिवक्ताओं द्वारा शासन को पत्र लिखा जाता रहा, साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी पत्र लिखा गया, सभी लोगों ने शासन स्तर पर पैरवी किया,सन २०१५ में मा० अपर जिला जज , सोनभद्र महोदय तहसील परिसर का मुआवना न्यायालय स्थापित करने हेतु किया वह अस्थाई न्यायालय संचालन हेतु तहसील अधिवक्ता समिति भवन का चुनाव किया जिसे तत्कालीन महामंत्री द्वारा लिखित रूप में दे दिया उसके बाद पुनः अगले साल सोनभद्र जिले के मा०जज महोदय का आगमन कचहरी परिसर में हुआ वहां अधिवक्ताओं से कहा गया कि आप लोग कोर्ट रूम में डायस ,च़ैम्बर बनवा दै, तो तुरन्त कोर्ट शुरू कर दिया जाएगा, अधिवक्ता सभा कक्ष को कोर्ट रूम में तब्दील कर डायस विश्राम कक्ष आदि सभी बनवाकर उसकी फोटो वगैरह सब जिला न्यायालय में भेजा गया, परन्तु आज तक कोई ठोस कदम शासन द्वारा नहीं उठाया गया है। इसी बीच सुनने में आया कि वर्तमान वर्ष में तहसील परिसर में एक भवन की पेंटिंग वगैरह कर ग्राम न्यायालय स्थापित किया जाएगा,वह भी मूर्त्त रूप नहीं ले पाया। अभी कुछ दिन पूर्व मड़िहान तहसील परिसर में ग्राम न्यायालय की स्थापना कर संचालित किया गया। आखिर इन तमाम कोशिशों के बाद भी सरकार द्वारा न्यायालय स्थापित कर संचालित क्यो नही किया जा रहा है। जबकि ‌
घोरावल तहसील में न्यायालय स्थापित करने हेतु न्यायालय के नाम जमीन है, साथ ही सभी मानक पूरा करने पर भी न्यायालय संचालन में हो रही बिलम्ब क्यो ।इस आदिवासी बनवासी जिले में अबिलम्ब न्यायालय संचालन हेतु तहसील अधिवक्ता समिति के पूर्व अध्यक्ष व संयुक्त अधिवक्ता महासंघ के घोरावल तहसील के अध्यक्ष राम अनुज धर द्विवेदी एडवोकेट ने जनहित की समस्यायों को देखते हुए शासन से घोरावल तहसील परिसर में न्यायालय स्थापित कर सुलभ न्याय प्रदान कराये जाने की मांग की जिससे यहां की जनता लाभान्वित हो सके।