● सोनसाहित्य संगम की ओर से 34वें अवसान वर्ष पर श्रद्धाजंलि
● वेदना का स्वर रहीं आधुनिक मीरा- मिथिलेश द्विवेदी
सोनभद्र । छायावाद काव्य की प्रमुख स्तम्भ रहीं महीयसी महादेवी वर्मा । 1982 में ‘ यामा ‘ के लिए ‘ज्ञानपीठ’ सम्मान से सम्मानित आधुनिक युग की मीरा का मरणोपरांत 1988 में पद्मविभूषण से अलंकृत कर भारत सरकार ने साहित्य में उनके योगदान को ही रेखाँकित किया था , यह उदगार सोन साहित्य संगम के निदेशक मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ‘ ‘मधुर’ गोरखपुरी ने सोन साहित्य संगम द्वारा ख्यातिप्राप्त साहित्यकार महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि पर आयोजित विचार/काब्य गोष्ठी में व्यक्त किया। सोनसाहित्य संगम की ओर से शुक्रवार को अग्नि रेखा सी महादेवी वर्मा के 34वें अवसान वर्ष पर स्मृतियों को संजोने के लिए साहित्यकारों का जुटान संस्था के रॉबर्ट्सगंज स्थित कार्यालय में निदेशक वरिष्ठ पत्रकार मिथिलेश द्विवेदी की सदारत में हुआ। सँस्कृति , साहित्य , लोकजीवन और सोनांचल के नवांकुर रचनाकारों को मंच प्रदान करने वाली संस्था सोन साहित्य संगम के संयोजक और कवि राकेश शरण मिश्र ने महादेवी के गद्य ‘ स्मृति की रेखाएं ‘ ‘ अतीत के चल चित्र ‘ और ‘ मेरा परिचय ‘ पर अपनी राय प्रस्तुत की।
कविता संग्रह— निहार ,रश्मि , नीरजा , सांध्यगीत , दीप शिखा , प्रथम आयाम आदि का जिक्र कर महीयसी की स्मृतियों को संजोया संक्षिप्त संगोष्ठी की निज़ामत कर रहे शिक्षक भोलानाथ मिश्र ने कहा कि उनकी रचनाओं में वेदना के स्वर की प्रधानता थी। गद्य रचनाओं में चिन्तन की सृजनशीलता स्पष्ट झलकती है । राजनीतिज्ञ , राजेश द्विवेदी ‘ राज ‘ ने महादेवी के कहानी संग्रह गिल्लू और अन्य कहानियों को याद किया । उनके रेखा चित्र , संस्मरण , ललित निबंधों आदि को अपनी स्मृतियों में संजोया । साहित्य का नव अंकुर कवि उत्कर्ष ने कहा कि 26 मार्च , 1907 को फरुखाबाद में अवतरण और 11 सितंबर 1987 को इलाहाबाद में अवसान का दिन साहित्य जगत के इतिहास में संभालकर संजोया जाता रहेगा । युवा कवि ने उनकी कालजयी रचना को उधृत किया , ‘ मधुर – मधुर मेरे दीपक जल । युग – युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल , प्रियतम का पथ आलोकित कर ‘ ज्ञानदास कनौजिया,युवा कवि संजीव सिंह, इंजीनियर अनिल कुमार मिश्र, अनुराग मिश्र, प्रदीप धर द्विवेदी, हिमांशु मिश्र, राजेश देव पांडेय एवम दीपक सिंह आदि ने भी महीयसी की अंतिम कृति 1990 में प्रकाशित ‘ अग्निरेखा ‘ के आलोक में रोशनी डाले ।
महादेवी के चित्र पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मिथिलेश द्विवेदी समेत उपस्थित कवि ,और साहित्यकारों ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि निवेदित कर उनके कृतिव व्यक्तित्व पर उदगार व्यक्त करते हुए अपनी स्मृतियों में संजोया ।