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ईश्वर जायसवाल (डाला)

डाला। जंगल की रक्षा कैसे संभव हो जब रक्षा करने वाले लोग खानापूर्ति करके नौकरी करने मे जूटे है तो इनसे जंगलो की सुरक्षा करना बैमानी है जिसका उदाहरण पुनः वेशकीमती पेडों का कटान है, डाला रेंज के बन चौकी से एक किमी पहले अस्पताल के पास मुख्य मार्ग के किनारे तीन पेड कटे हुए मिले। खबर प्रकाशन के बाद बन महकमा कुम्भकर्णी निद्रा से उठा तो अवैध कटान के जांच मे जूट गया, वह भी खानापूर्ति करके वाचरो को पूरे जंगल मे ठूंठ व कटान खोज निकालो का आदेश देकर आराम फरमाने लगा, जांच टीम उस स्थल पर गई ही नही पेडो की कटान के साथ लकडी के बोटा मौजूद हैं, पेड कटने के पश्चात छालों की छिलाई करके बोटा तैयार किया जाता है जिसमे घंटों समय लगते हैं, परन्तु चंद दूरी बैठा बन महकमा इस कटान अनजान बना बैठा है, जंगलो के रक्षकों को बन कटान की सूचना क्यों नही मिलति।

वन विभाग का महत्वपूर्ण स्लोगन एक बृक्ष सौ पुत्रों के समान डाला रेंज मे धराशाई हो गया, जंगल के पुत्रों की हत्या करने वाले पर कब सजा मिलेगी यह भविष्य ही तय कर पाएगा। इस सन्दर्भ में ओबरा बन प्रभाग के एसडीओ जेपी सिंह ने बताया कि खबर प्रकाशन के बाद मौके पर मै गया हूं,कुछ कटान मिले है और भी कटान व ढूठ की सघनता से जांच की जा रही है। साथ ही डाला रेंजर को निर्देशित किया गया है कटान की जांच करके रिपोर्ट सौंपेंगे उसके आधार पर शामिल लोगो के खिलाफ कडी कार्यवाही की जाएगी। कटे हुए बोटे को रिकवर करके कटान कर्ताओं पर कडी कार्यवाही की जाएगी।