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परमेश्वर दयाल श्रीवास्तव/घोरावल

सोनभद्र। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, सोनभद्र ने बैठक कर
प्रिंट मीडिया के माध्यम से प्राप्त बीएसए के उस आदेश पर कड़ा विरोध जताया जिसमे विद्यालय खुलने पर छात्रों द्वारा गणवेश, बैग ,जूता मोजा ,स्वेटर न पहन कर विद्यालय आने पर संबंधित शिक्षकगण को जिम्मेदार ठहराते हुए उन पर कारवाई की बात कही गयी है। जिला संयोजक अशोक त्रिपाठी ने कहा कि जब डीबीटी के माध्यम से पैसा सीधे अभिभावकों के खाते मे गया है तो इसके लिए उन्हें ही जिम्मेदार बनाना चाहिए। शिक्षक केवल अभिभावक को सूचित व आग्रह कर सकता है बाकि सम्पूर्ण कार्यवाही प्रशासन, बैंक और पुलिस विभाग ही कर सकता है। बीएसए महोदय ही बतायें कि शिक्षक किस अधिकार से अभिभावकों से इन सब की वसूली कर सकता है। ये बात सत्य है कि डीबीटी के पैसे से बहुत ही कम अभिभावक ने सामग्री का क्रय कियाहै , परन्तु इसमे शिक्षकों की क्या गलती है। यदि शिक्षको को इस प्रकार जानबूझकर अनधिकृत रुप से जिम्मेदार बनाया गया तो शिक्षक विद्यालय खुलते ही इस उत्पीड़नात्मक व अव्यवहारिक आदेश के विरुद्ध आंदोलन करने को बाध्य होंगे, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा विभाग व प्रशासन की होगी। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, सोनभद्र (प्रा. सं.) ऐसे किसी आदेश व भावी कार्रवाई की कड़ी निन्दा करता है।
बैठक में मंथन कर विचार रखने वालों मे मण्डल अध्यक्ष अखिलेश `वत्स´, जिलासंयोजक अशोक कुमार त्रिपाठी, सहसंयोजक इन्दू प्रकाश सिंह, सौरभ श्रीवास्तव, संदीप, गणेश पाण्डेय, डेविड मौर्य अरूणेश चन्द्र पाण्डेय आदि शामिल रहे।