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● अभीष्ट सिद्धि फल प्राप्त करने का पर्व है महाशिवरात्रि: आचार्य विनय शुक्ल

सोनभद्र ब्यूरो कार्यालय

सोनभद्र। सोनांचल के लब्ध प्रतिष्ठित युवा आचार्य पंडित विनय शुक्ल ने शुक्रवार को इस संवाददाता से बातचीत करते हुए महाशिवरात्रि पर्व की भारतीय सनातन संस्कृति में महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाई जाती है। इस बार एक मार्च को यह महान पर्व पड़ रहा है उस दिन पूरे मनोयोग के साथ महाशिवरात्रि पर्व मनाई जाएगी। उन्होंने पर्व की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहां की इस वर्ष चतुर्दशी, मंगलवार, धनिष्ठा नक्षत्र और शिव योग का दुर्लभ संयोग होने से इसे विशेष फलदायी माना जा रहा हैं। उन्होंने शिव भक्तों से अपेक्षा करते हुए कहा कि शिवरात्रि के दिन निराकार रूप को साकार करके शिवलिंग के रूप में प्राकट्य होने का दिन भी माना जाता है। इतना ही नहीं शिवरात्रि के दिन भगवान शिव प्रसन्न मुद्रा में नंदी पर वास करते हैं। ऐसे में इस दिन रुद्राभिषेक, पूजन आदि से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं। अपने भक्तों के सभी प्रकार की अभिष्ट मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था और बाबा भोलेनाथ जी ने वैराग्य जीवन त्याग कर गृहस्थ जीवन मे प्रवेश किए थे। आचार्य जी ने यह भी बताया कि इस दिन श्रद्धा विश्वास के साथ व्रत रखने से सभी प्रकार के मनोकामना पूर्ण होती है। सबसे खास बात यह रहेगी कि कोरोना संक्रमण थमने से मंदिरों और शिवालयों में श्रद्धालु दर्शन-पूजन कर सकेंगे ।
आचार्य विनय शुक्ल के मुताबिक, काली तिल जल मे डाल कर स्नान करे उसके बाद विधिवत शिव पूजन करना चाहिए। शिवजी के सबसे प्रिय पुष्प मदार, कनेर, बेलपत्र, शमी पत्र, तुलसी मंजरी और मौलसरी अर्पित करना चाहिए।और रात्रि जागरण कर शिव भजन कीर्तन मंत्र जाप करने से भगवान शिव और माता पार्वती अपने भक्तो को अभिष्ट सिद्धि फल प्रदान करते है। हर हर महादेव।