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रामप्रवेश गुप्ता/रविंद्र पाण्डेय-(बीजपुर)

बीजपुर/सोनभद्र। शनिवार की सायं रिहंद साहित्य मंच के तत्वावधान में ऑन लाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।देर सायं तक चले इस काव्य गोष्ठी के दौरान रिहंद साहित्य मंच के रचनाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर समां में चार चांद लगा दिया ।
काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे मंच के महासचिव मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ने देश प्रेम से ओत – प्रोत ‘ कविता ‘

खून हिंदुस्तान का खौल रहा, अब बदला लो हत्यारों से।’

को सुनाकर रचनाकारों के अंदर देश प्रेम की भावना को भरने का पूरजोर प्रयास करने का कार्य किया। अगली कड़ी में वाराणसी से कार्यक्रम में शिरकत कर रहीं प्रेमशीला श्रीवास्तव ने शृंगार रस के वियोग पक्ष को दर्शाती हुई’

जिंदगी है अगर तो यह तो यह मुश्किल नहीं, कभी उनसे मुलाका त हो जाएगी’

को सुनाकर वातावरण में बदलाव लाया। पुनः वाराणसी की ही कवयित्री सुषमा गुप्ता ने

‘ तुम ही सोचो जरा, क्यों न रोके तुम्हें।’

को सुनाकर लोगों की खूब वाहवाही लूटी।
रिहंदनगर से काव्य गोष्ठी में भाग लेने वाले डी एस त्रिपाठी ने वैश्विक महामारी कोविड-19 से परेशान दुनिया के संदर्भ में कविता

‘ कोरोना वैश्विक महामारी,बन गई देखो सब की लाचारी’।

को सुनाकर लोगों को तालियां बजाने पर बाध्य कर दिया।
रिहंद की ही श्रेष्ठ रचनाकार राजेश्वरी सिंह ने मां के साथ-साथ पिता के महत्व को दर्शाने वाली कविता

‘ अगर मां परछाईं है तो पिता हमारी आत्मा’

को सुनाकर श्रोताओं को भाव विह्वल कर दिया। मंच का संचालन कर रहे रिहंद के ही लक्ष्मी नारायण ‘पन्ना’ ने वातावरण का रूख बदलते हुए कविता

‘ सियासत गर्ग की नजरों में मैं अभी लव जिहादी हूँ।

‘ को सुनाकर श्रोताओं व रचनाकारों को वाह- वाह करके तालियां बजाने को मजबूर कर दिया। तत्पश्चात कौशल बर्मा ने ‘ ए तुम्हें चैन नहीं पड़ता।’ तथा आर डी दुबे ने
‘ मैं पीना नहीं चाहता, पर पिए बिन रहा नहीं जाता

को सुनाकर लोगों का भरपूर मनोरंजन किया। कार्यक्रम में प्रयागराज से शिरकत कर रहे राष्ट्रीय कवि व रिहंद साहित्य मंच के वरिष्ठ पदाधिकारी देवी प्रसाद पाण्डेय ने एक बार फिर वातावरण का रूख बदलते हुए श्रृंगार रस से परिपूर्ण कविता’

साथ चलने का जो तुमने वादा किया’

को सुमधुर स्वर में सुनाकर लोगों की जमकर तालियां बटोरी। रिहंद के जाने माने व सुप्रशिद्ध रजनाकार अरुण कुमार श्रीवास्तव’ अचूक’ ने भी वैश्विक महामारी कोरोना के संदर्भ में कविता के माध्यम से कोरोना को शांत होने हेतु सावधान करते हुए चीन को ललकारा। काव्य गोष्ठी में अन्य कवियों ने भी एक से बढ़कर एक कविता सुनाई।