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सोनभद्र ब्यूरो कार्यालय


सोनभद्र। विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के तत्वाधान में ट्रस्ट के प्रधान कार्यालय मे होली पर्व के दूसरे दिन मंगलवार को होली मिलन के बहाने एककाव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। इस दौरान कवि दिवाकर दिवेदी “मेघ विजयगढी” ने मां सरस्वती के चरणों मे *तेरेचरण की वंदना मां हम करते रहे—- प्रस्तुत कर गोष्टी की शुरुआत की इसके पूर्व ट्रस्ट के निदेशक दीपक कुमार केसरवानी ने कार्यक्रम में उपस्थित कवियों का अवीर लगाकर स्वागत किया,
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कथाकार रामनाथ शिवेंद्र ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होना चाहिेए।
पत्रकार सनोज तिवारी ने कहा कि होली मिलन समारोह एक ऐसा कार्यक्रम है, जहां पर सभी प्रबुद्ध वर्ग के लोग इकट्ठा होते हैं और अपने विधाओं के माध्यम से एक दूसरे का मनोरंजन करते है।
गीतकार सरोज सिंह सरोज ने अपने होली गीत-
राधे बिना श्याम दीवाने हुए—
सोन साहित्य संगम के संयोजक कवि राकेश शरण मिश्र “गुरु”ने कोरोना संक्रमण को अपनी काव्य पंक्तियों में पिरोते हुए कहां की-
कितने डरावने दिन थे,
कितनी भयानक रात थी–
हास्य व्यंग के प्रख्यात रचनाकार जयराम सोनी ने वर्तमान सामाजिक व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए कहा कि-
विदेशी महिला के साथ
नेताजी अस्त-व्यस्त पाए गए—
गजलकार शिव नारायण शिव ने- श्रृंगार रस पर आधारित कविता नशा कुछ इस तरह का है,
सनम इस बार होली में— पढ़कर लोगों को खूब गुदगुदाया।
कविअमरनाथ नाथ “अजेय” ने
*उत्पाती लहरें मत छेड़ो तटबंधो को— गीतकार और सोन साहित्य संगम के उपनिदेशक
कवि सुशील राही ने आध्यात्मिक कविता पढ़कर सब को भावविभोर कर दिया-
मनमोर बसो चितचोर के संग,
आनंग का पाठ पढ़ावत है—
कार्यक्रम का सफल संचालन कर रहे कवि प्रदुमन त्रिपाठी ने अपने कविता के माध्यम से फागुनी बयार को ऊंचाई प्रदान की। कार्यक्रम में ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी हर्षवर्धन केसरवानी, उद्यमी राधेश्याम बंका, प्रदीप केसरी, पीयूष केसरी, प्रतिभा देवी, तृप्ति केसरवानी, मंजू केसरी आज कविता प्रेमी मौजूद रहे।