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सोनभद्र कार्यालय

सोनभद्र। सोन साहित्य संगम सोंनभद्र द्वारा गुरुवार को जूम एप पर आन लाइन काब्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जो देर शाम तक चलता रहा। महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाल गंगा धर तिलक व पंडित चंद्रशेखर आजाद की जयंती के अवसर पर संस्था द्वारा कोरोना महामारी के कारण उक्त वर्चुअल काब्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे सोंनभद्र व वाराणसी के नामी गिरामी कवियों ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। काब्य गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार संस्था के निदेशक मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ‘मधु गोरखपुरी’ ने की और संचालन संयोजक राकेश शरण मिश्र’गुरु’ ने किया।काब्य गोष्ठी का प्रारम्भ माँ सरस्वती के चित्र पर अध्यक्ष द्वारा पुष्पांजलि अर्पित व द्वीप प्रज्ज्वलन करके किया गया।

ततपश्चात युवा कवि राहुल सिंह ‘प्रवाह’ द्वारा माँ सरस्वती वंदना प्रस्तुत करके किया गया। इसके बाद युवा कवि प्रभात सिंह चंदेल ने वीर रस की कविता के माध्यम से आन लाइन जुड़े श्रोताओं को राष्ट्रीय भावना से ओत प्रोत कर दिया। फिर ‘मुद्दतो बाद याद किया है तुमने’ सुनाकर युवा कवि राहुल सिंह प्रवाह ने लोगो को वाह वाह कहने पर मजबूर कर दिया। फिर कवि दिवाकर द्विवेदी ‘विजय मेघ गड़ी’ ने ‘मेघ की गर्जना घनी चांदनी’ को मधुर स्वर में प्रस्तुत कर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। फिर ‘पास हर वक्त हौंसले की उड़ान रखता हूँ’ को सुनाकर बनारस से जुड़े कवि रामनरेश पाल ने सभी को उत्साहित कर दिया।

फिर बनारस से ही एन टी पी सी के कवि और गोष्ठी के मुख्यअतिथि मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ने ‘बड़ी मुश्किलों से रिश्ता निभाता रहा’ सुनाकर परिवार के टूटते सम्बन्धो को प्रस्तुत किया।

कवि अमरनाथ अजेय ने’पानी के भाव बीके हम’ सुनाकर वर्तमान में मानव बेबसी को अपनी रचना के माध्यम से बताने का प्रयास कर लोगो की वाहवाही लूटी। गजलों के बेताज बादशाह गोष्ठी के विशिष्ठ अतिथि शिव नारायण शिव ने ‘जो मिले बस उसी से गुजारा करो कोठियों की तरफ मत निहारा करो’सुनाकर श्रोताओं को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया।

वही संस्था के उपनिदेशक सुशील राही ने ‘पांव है फिर भी चल नही सकता’ को सुनाकर समाज की ब्यवस्था पर सवाल उठाया और लोगो को काब्य रस में सराबोर किया। वही मातृशक्ति के रूप में महिला श्रोताओं में उपस्थित प्रेम शीला व सुषमा गुप्ता जी ने कजरी सुनाकर सभी को खूब आनंदित किया। गोष्ठी का सफल संचालन कर रहे संस्था के संयोजक राकेश शरण मिश्र ‘गुरु’ ने भारत तेरे टुकड़े होंगे बार बार ये कहते हो, खाके नमक हमारा तूम क्यो नमक हरामी करते हो’ सुनाकर लोगो को देश भक्ति की भावना से जोड़ने का सफल प्रयास किया। और फिर गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी’मधु गोरखपुरी’ ने ‘चाँदनी गुजर गई तिमिर घन छा रहे’ सुनाकर श्रोताओं कीख़ूब वाहवाही लूटी। और आन लाइन बेबीनार गोष्ठी में उपस्थित सभी कवियों और श्रोताओं का आभार प्रगट किया।

राकेश शरण मिश्र
संयोजक
सोन साहित्य संगम सोंनभद्र