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प्रयागराज। प्रयागराज की महिमा यहां हर साल लगने वाले माघ मेले और हर छह साल में लगने वाले कुम्भ से है जिसमें बड़े बड़े पंडालों में साधु संत भंडारे का आयोजन करते हैं। लेकिन इस लॉकडाउन के दौर में आज जब सही मायनों में ‘अन्न क्षेत्र’ (लंगर) चलाने की जरूरत है तो ज्यादातर ‘बड़े’ संत महात्मा गायब हैं और ‘छोटे’ संत बढ़-चढ़कर भूखों को भोजन करा रहे हैं। संगम क्षेत्र में बांध पर स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर के सेवक बलराम दास त्यागी बाबा खुले आसमान के नीचे ही 23 मार्च से लंगर चला रखा है। जबकि “भैया जी का दाल भात” शाम को लोगों की भूख शांत करता है। मेला प्रशासन कार्यालय में स्टोर इंचार्ज देवराज मिश्रा ने कहा, ‘कुम्भ मेला में बड़े संत महात्मा सरकारी सुविधा लेने के लिए बड़े बड़े भंडारे का आयोजन करते हैं, लेकिन आज जब वास्तव में ‘अन्न क्षेत्र’ चलाने की जरूरत है तो प्रयागराज में स्थित बड़े संत महात्मा गायब हैं।

हालांकि समाज से दारागंज के भोला वैश्य जैसे लोग आगे आ रहे हैं जो नियमित भोजन वितरित करा रहे हैं।’ त्यागी बाबा ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘लॉकडाउन की वजह से इस क्षेत्र में कंठी माला, भगवान की फोटो, श्रृंगार का सामान बेचने वाले दुकानदार और उनका परिवार संकट में आ गया। आसपास की झुग्गियों में करीब 10,000 लोग रहते हैं।ये लोग भूखे न रहें, इसलिए हमने 23 मार्च से ही ‘अन्न क्षेत्र’ शुरू कर दिया। यहां प्रतिदिन 400 लोगों को भोजन कराया जाता है जिसमें कभी कढ़ी चावल, कभी तहरी, किसी दिन पूरी सब्जी और किसी दिन दाल-चावल दिया जाता है।’ इसी तरह, लेटे हनुमान मंदिर के सामने शहर के कई व्यवसायी ‘भैया जी का दाल भात’ नाम से ‘अन्न क्षेत्र’ चला रहे हैं जिसमें संगम क्षेत्र में प्रतिदिन शाम को 600-800 लोगों को भोजन वितरित किया जाता है।

त्यागी बाबा ने कहा, ”संगम क्षेत्र की इतनी बड़ी आबादी और घुमंतू लोगों के लिए उनके प्रयास पर्याप्त नहीं हैं और यदि अन्य बड़े संत महात्मा भी आगे आंए तो सभी का पेट भर सकेगा।” ‘भैया जी का दाल भात’ चलाने वाली टीम के सदस्य अन्नू सिंह ने बताया, ‘वास्तव में अन्न क्षेत्र चलाने का यह सिलसिला 23 नवंबर, 2018 को शुरू हुआ जो इस लॉकडाउन में भी जारी है। दिन मे तो कई लोग भोजन चला रहे हैं, लेकिन रात में गिने चुने लोग ही आगे आते हैं, इसलिए हमने सोचा कि कोई रात में भूखा न रहे, इसलिए शाम को भोजन वितरित करने का निर्णय हमने किया।’ टीम के एक अन्य सदस्य वीरू सोनकर ने बताया कि संगम क्षेत्र के अलावा ‘भैया जी का दाल भात’ झलवा और कीटगंज के मौजगिरि आश्रम के सामने भी चलाया जा रहा है। सोनकर के अनुसार, झलवा में 500 लोगों के लिए और कीटगंज में 700-800 लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था है। संगम क्षेत्र में समाज सेवा कर रहे जय कुमार निषाद ने बताया कि ”इस लॉकडाउन में भूखों को भोजन कराने के मामले में बड़े संत नदारद हैं। लेटे हनुमान जी मंदिर के महंत और 13 अखाड़ों के मुखिया नरेंद्र गिरि महाराज की ओर से केवल एक दिन 35 पैकेट राशन बंटवाया गया और पिछले 6-7 दिनों से उनके मठ से मट्ठा आ रहा है।” उन्होंने बताया कि इसी तरह टीकरमाफी आश्रम के हरि चैतन्य ब्रह्मचारी की ओर से 1,000 लोगों को राशन बंटवाया गया है। मेला प्रशासन कार्यालय में कार्यरत अनूप श्रीवास्तव ने बताया कि बांध पर स्थित शंकर विमान मंडपम का बड़ा नाम है, लेकिन उनकी ओर से कोई अन्न क्षेत्र नहीं चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हालांकि दंडी बाड़ा से एक संत यहां संगम क्षेत्र में सत्संग पंडाल में लोगों को भोजन कराने के लिए प्रतिदिन एक पिकअप वैन में तैयार भोजन लेकर आते हैं।