कमलेश पाण्डेय मिर्जापुर
मिर्जापुर। जिले में वाहन स्टैंड और पार्किंग के लिए प्रशासन न तो जमीन उपलब्ध करा रहा है और न लाइसेंस जारी कर रहा है। ऑटो चालक संघ जिला प्रशासन से स्टैंड के लिए जमीन मांग रहा है, लेकिन नहीं मिली। यूनियन निजी जमीन को लीज पर ले रहा है, तो उनको लाइसेंस नहीं दिया गया। वहीं जगह-जगह खोले गए अवैध स्टैंड और पार्किंग में लोगों से मनमाना वसूली की जाती है। इससे प्रशासन को भी राजस्व की चपत लग रही है। मुख्यमंत्री ने जिले में अवैध पार्किंग और स्टैंड के संचालन पर रोक लगाने का निर्देश देते हुए वैध स्टैंड और पार्किंग स्टैंड का संचालन करने का निर्देश दिया था। अवैध स्टैंंड पर कार्रवाई तो गई पर पर संचालन पर रोक नहीं लग पा रहा है। जिले में कई स्थानों पर अवैध स्टैंड का संचालन हो रहा है। बड़ी बात ये है कि आटो स्टैंड यूनियन केे लोग वैध आटो स्टैंड और पार्किंग स्थल बनवाने के लिए जिला प्रशासन से आग्रह करने के साथ कई चरणों में बैठक किया, पर आटो यूनियन के लोगों को स्टैंड संचालन के लिए जमीन नहीं मिल रही है। आटो यूनियन के लोग अगर निजी जमीन के स्थान का चयन करके उसे लीज पर ले रहे है तो उनको आटो स्टैंड संचालन के लिए लाइसेंस नहीं मिल रहा है। इस कारण नगर से लेकर पूरे जिले में अवैध वाहन स्टैंड का संचालन हो रहा है। नगर में सिर्फ पीली कोठी में एक वाहन स्टैंड का संचालन हो रहा हैै। इसके अलावा नगर के बथुआ, घोड़े शहीद आदि स्थानों पर अवैध वाहन स्टैंंड का संचालन हो रहा है। नगर और विंध्याचल में नगरपालिका की ओर से छह वाहन पार्किंग स्टैंड है। इसमें ज्यादातर पार्किंग स्टैंड विंध्याचल में है, पर सवारियों को बैठाने के लिए वाहन स्टैंड नहीं बन सका है। इस कारण अवैध वाहन स्टैंड का संचालन हो रहा है। आटो यूनियन के अध्यक्ष कमलेश चौहान ने बताया कि विंध्याचल में निजी जमीन को एग्रीमेंट के आधार पर लिया गया है। इसके अलावा पीली कोठी की जमीन को भी एग्रीमेंट के आधार पर लिया गया है। जिसका लाइसेंस नगर पालिका की ओर से शुल्क लेकर दिया गया है। जमुई में एक निजी जमीन को एग्रीमेंट के आधार पर लिया गया है। नियमानुसार जिला पंचायत से लाइसेंस के लिए अपर जिलाधिकारी के माध्यम से आवेदन किया गया है। मांग के अनुसार शुल्क जमा करने के लिए यूनियन तैयार है, पर स्टैंड संचालन केलिए लाइसेंस नहीं मिल पा रहा है। कचहरी-स्टेशन रोड, कचहरी से शास्त्री पुल के लिए सिटी क्लब मैदान को वाहन स्टैंड बनाया जाना था, पर उस दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही है। स्टैंड लाइसेंस के लिए 16 लाख रुपये की मांग की गई थी। यूनियन पैसे देने का तैयार था। इसके बाद भी अब तक वाहन स्टैंड नहीं बन सका है। इस कारण आटो और ई-रिक्शा संंचालन करने वालों वाहन चालकों को समस्या हो रही है। अवैध स्टैंड पर वाहन संचालन करने पर उन पर कार्रवाई की जाती है।