मुशायरा गोष्ठी-: आंखों ने कुछ कहा था मगर लब सिले रहे, कुछ यूं हुआ जो आप से पहली दफा मिले

 मुशायरा गोष्ठी-: आंखों ने कुछ कहा था मगर लब सिले रहे, कुछ यूं हुआ जो आप से पहली दफा मिले

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रामेश्वर तिवारी/मो- 8858321434

सोनभद्र। मुशायरा व काब्य गोष्ठी में शायर मिर्जा गालिब के जयंती पर सोमवार की देर शाम राबर्ट्सगंज स्थित एक होटल में मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का आयोजन मित्र मंच फाउंडेशन ने किया। वक्ताओं ने बताया कि पिछले 19 वर्ष से मुशायरे एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। सम्मेलन का शुभारंभ अशोक श्रीवास्तव ने शायरों एवं कवियों को मंच पर ससम्मान बुलाकर की।
अध्यक्ष विकास वर्मा ने मिर्जा गालिब के शेर पढ़ते हुए किया। ने खुमार देहल्वी ने कहा न भीख मांगे अगर मां तो क्या करे आखरि, तमाम असासा तो बेटा समेटे बैठा है। डा. शाद मशरिकी ने कहा और कुछ सोचें तरीका यह पुराना हो गया। तोड़ते पत्थर से शीशा इक ज़माना हो गया। हसन सोनभद्री ने कहा आंखों ने कुछ कहा था मगर लब सिले रहे, कुछ यूं हुआ जो आपसे पहली दफा मिले। पंडित प्रेम बरेलवी ने कहा ये पहले शायर मिर्जा गालिब की जयंती जार पर मुशायरा व कवि सम्मेलन राबर्ट्सगंज स्थित एक होटल में 19 वें वर्ष भी हुआ कार्यक्रम था चलन में प्रेम अब ये कौन करता टेक है। जलाकर अपना घर औरों के घर में रोशनी करना। विकास वर्मा ने कहा अल्लाह और भगवान की बातें। गीता के और कुरान की बातें। कभी-कभी नव दिख भी जाती हैं, हिंदी हिंदुस्तान की प बातें। मनमोहन मिश्र ने कहा नफरत का जाम मुझसे उछाला न जाएगा। ये काम मेरे दिल से संभाला न जाएगा। इसी तरह काशिफ अदीब ने कहा खुद क हमने अपना साध बहुत दूर तक दिया, आखरि में हम भी अपनी ज़रूरत में पड़ गए।

इसी तरह प्रद्युम्न त्रिपाठी, कौशल्या कुमारी चौहान, कमल नयन त्रिपाठी, अंश प्रताप आदि ने एक से बढ़कर एक गीत प्रस्तुत किया। उमेश जालान, जेवी सिंह, विवेक कुमार पाण्डेय, साजिद अली, धर्मराज जैन, फरीद अहमद, अशोक श्रीवास्तव, विमल जैन आदि रहे।


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