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विकास दत्त मिश्रा वाराणसी

वाराणसी। विश्व शिजोफ्रेनिया दिवस 2024 के अवसर पर नई सुबह इंस्टीट्यूट का मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज, वाराणसी में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में नैदानिक मनोवैज्ञानिक, पुनर्वास मनोवैज्ञानिक, परामर्शदाता, सामाजिक कार्यकर्ता, विशेष शिक्षकों ने सहभागिता किया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए नई सुबह संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष डा० अजय तिवारी ने कहा कि शिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है जिसका इलाज जटिल एवं बहुआयामी होता है जिसमें मानसिक रोग विशेषज्ञ, नैदानिक मनोवैज्ञानिक साइकाइट्रिक सोशल वर्कर, साइकाइट्रिक नर्स कि हम भूमिका होती है।
डा० मनोज कुमार तिवारी वरिष्ठ परामर्शदाता एआरटी सेंटर, एस एस हॉस्पिटल, आईएमएस, बीएचयू ने कार्यशाला को संबोधित करते कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के अनुसार विश्व की कुल आबादी के एक प्रतिशत लोग शिजोफ्रेनिया से पीड़ित हैं जबकि भारत में इनकी आबादी 40 लाख के करीब है। उन्होंने कहा कि समाज एवं परिवार के सदस्यों के सहयोग से शिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति के जीवन में गुणवत्तापूर्ण सुधार लाया जा सकता है।
कार्यक्रम को मुख्य रूप से जनरल फिजिशियन डा०आदित्य तिवारी, नैदानिक मनोवैज्ञानिक प्रज्ञा मित्रा व अमरेश कुमार यादव व पुनर्वास मनोवैज्ञानिक अर्पित मिश्रा ने संबोधित किया।‌कार्यक्रम का संचालन क्षमा मौर्य तथा धन्यवाद ज्ञापन राजीव कुमार सिंहा ने किया।