विकाश दत्त मिश्रा/वाराणसी
बड़ागांव/वाराणसी। भगवान का जन्म नही होता भगवान तो प्रकट होते है इसलिए जीवनख मे उनसे कुछ मांगने की इच्छा हो तो धनगक संपदा की मांग से बेहतर है कि स्वयं उन्हे या उनकी भक्ति को ही मांग लिया जाय। यही वह प्रार्थना है जिससे मानव जीवन कृतार्थ व जगत कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। उक्त बाते कुड़ी के प्रद्युम्न शिक्षण संस्थान के प्रांगण मे चल रहे नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के चतुर्थ दिन श्रीराम बाल लीला प्रसंग कथा करते हुए कथा सम्राट मानस पूज्य राजन जी महाराज ने कही, कथा को आगे बढ़ाते हुए पूज्य महाराज ने बताया कि सर्वशक्तिमान ईश्वर को जानने नहीं अपितु उन्हें मानने का प्रयास किया जाना चाहिए। क्योंकि हमारा यह मानना ही एक दिन जानने में परिवर्तित होकर हमें प्रभु का साक्षात्कार करा सकता है। प्रभु सर्वव्यापी है और जिस तरह घर्षण से अग्नि उत्पन्न होती है ठीक वैसे ही जब हम अपने आराध्य के भक्ति में उनके श्रीचरणों के वशीभूत होकर उनके साथ प्रेम का घर्षण करते हैं तो वे अग्नि की तरह हमारे समक्ष प्रकट होकर जगत को आलोकित करने के साथ ही विश्व का कल्याण करते हैं।
श्री राम कथा में दैनिक सपत्नीक यजमान शैलेष मिश्र, सुनील मिश्र एवं अजय सिंह चंदेल द्वारा ब्यासपीठ, पवित्र रामचरित मानस एवं कथा मंडप की आरती उपरांत आरंभ हुए कथा के अवसर पर मंच का संचालन इन्द्रदत्त मिश्र ने किया।
कथा पंडाल मे मिश्र परिवार के मुख्य आयोजक मुनीष मिश्र के साथ अखिलेश दत्त मिश्र, रमेश दत्त मिश्र, विकास दत्त मिश्र, प्रकाशदत्त मिश्र, अरविंद मिश्र(सीताराम), रविन्द्र मिश्र(सोनू), आशुतोष मिश्र, शुभम मिश्र,शिवम मिश्र, अनीष मिश्र, सचिन मिश्र, मनीष मिश्र (दीपू), अंकित मिश्र, अर्पित मिश्र, प्रखर मिश्र सहित हजारो भक्त मौजूद रहे |