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सोनभद्र कार्यालय
-7 मार्च 1921 दिन सोमवार को पडा था महाशिवरात्रि।
-आंदोलन का आरंभ हुआ था गौरी शंकर के मेले से।
-विराट सम्मेलन का हुआ था आयोजन।
-कांग्रेस कमेटी की नीतियों का हुआ था प्रचार प्रसार।
-आधुनिक सोनभद्र में विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार, लगान बंदी , नशाबंदी आदि का प्रोग्राम मेले में ही तय हुआ था।
-गुरु परासी में हुई थी संस्कृत राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना।
-श्रीगंगा प्रसाद जयसवाल, श्री कृष्ण दत्त द्विवेदी का हुआ था ओजस्वी भाषण।
रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र)। जनपद सोनभद्र के बरहदा गांव के प्राचीन गौरी शंकर मंदिर मैं (नौवीं शताब्दी की निर्मित एक मुखी शिवलिंग मूर्ति) पर सैकड़ों साल से महाशिवरात्रि के अवसर पर लगने वाले 15 दिवसीय मेले का ऐतिहासिक महत्व है और इस मेले के माध्यम से जनपद के सुदूर ग्रामीण आदिवासी अंचलों एवं समीपवर्ती प्रदेश के लोगों में स्वतंत्रता आंदोलन की अलख जगाने का कार्य क्रांतिकारी, देशभक्त, नेताओं द्वारा किया गया था।
विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के निदेशक एवं शोधकर्ता दीपक कुमार केसरवानी के अनुसार-
” आधुनिक सोनभद्र (मिर्जापुर जनपद का दक्षिणांचल) सन 1921 में महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन का शुभारंभ 7 मार्च 1921 दिन सोमवार को महाशिवरात्रि के दिन रॉबर्ट्सगंज से 7 किलोमीटर दूर बरहदा गांव में लगने वाले गौरी शंकर मेले के प्रथम दिन भगवान शिव की पूजा, आराधना जयकारे के साथ हुआ था।
इस मेले में एक विराट सम्मेलन का आयोजन किया गया था, इस सम्मेलन में मिर्जापुर जनपद के सक्रिय, उत्साही नेता श्री गंगा प्रसाद जायसवाल एवं कृष्ण दत्त द्विवेदी का ओजस्वी भाषण भी हुआ था,परासी गांव के केसरी प्रसाद द्विवेदी ने सक्रियता पूर्वक भाग लिया था।
कांग्रेसी नेताओं ने असहयोग आंदोलन के विषय में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार, लगान बंदी नशाबंदी इत्यादि कार्यक्रम के बारे में उपस्थित जनसमूह को विस्तृत जानकारी दिया । साथ ही साथ पंपलेट भी बांटे गए थे।
कार्यक्रम में उपस्थितअतिथियों को नाश्ते में तेलहिया जलेबी, बैर, मकोय,अंगूर, संतरा इत्यादि फल भी परोसे गए थे।”
असहयोग आंदोलन की घोषणा के बाद मिर्जापुर जनपद के वरिष्ठ नेता युसूफ इमाम, हनुमान प्रसाद पांडे, डॉ उपेंद्र नाथ बनर्जी, मास्टर गंगा प्रसाद, पंडित शालिक राम पांडे, पंडित परमानंद पंजाबी, सरस्वती देवी, महादेव शरण आदि नेताओं ने जनपद सोनभद्र के मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज एवं दुद्धी तहसील का दौरा किया था।
इस दौरे में आधुनिक सोनभद्र की जनता बहुत ही प्रभावित हुई थी, जिसके परिणाम स्वरूप रॉबर्ट्सगंज के समीपवर्ती गांव मुंठेर के पंडित तारक नाथ त्रिपाठी ने इस क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया । इन्होंने तहसील रॉबर्ट्सगंज में कांग्रेस की नीतियों का प्रचार- प्रसार किया एवं असहयोग आंदोलन के कार्यक्रमों से जनता को अवगत कराया एवं लोगों को कांग्रेस कमेटी का सदस्य एवं स्वयंसेवक बनाया था।
इनके द्वारा ही जनपद सोनभद्र के मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज में एक सभा का आयोजन किया गया, छोटी-छोटी सभाओं के माध्यम से नगरवासियों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाया गया और संस्कृत का अध्ययन बीच में छोड़कर असहयोग आंदोलन के कार्यक्रम के तहत एक संस्कृत राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना गुरु परासी में किया गया। इस पाठशाला के प्रथम प्रधानाध्यापक पंडित महादेव प्रसाद चौबे को बनाया गया।
जनपद सोनभद्र में स्वतंत्रता आंदोलन की अलग जलाकर हमारे सेनानियों ने सोनभद्र जैसे आदिवासी बाहुल्य, भौगोलिक जटिलताओं वाले जनपद के सुदूर जंगली क्षेत्रों में निवास करने वाले आदिवासियों के बीच असहयोग आंदोलन का शंखनाद किया और महात्मा गांधी के संदेश को जनपद के कोने- कोने में पहुंचा कर भारत माता को पराधीनता की बेड़ियों से मुक्त कराने का आह्वान किया । इसका सुखद परिणाम रहा कि 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ।
सोनभद्र जनपद में स्वतंत्रता आंदोलन को धार देने वाले सक्रिय देशभक्त, क्रांतिकारी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित महादेव प्रसाद चौबे की कर्मभूमि (शहीद उद्यान) में स्थापित गौरव स्तंभ पर अंकित जनपद के 112 सेनानियों के नाम एवं स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान घटित घटनाएं जहां एक और ऐतिहासिक घटनाओं की याद दिलाती हैं वही स्वतंत्रता को अक्षुणय रखने का संदेश भी देती हैं।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की इस धरा पर स्थापित गौरव स्तंभ पर प्रत्येक राष्ट्रीय पर्वों पर जिला प्रशासन द्वारा श्रद्धांजलि एवं संगोष्ठी का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
उत्तर प्रदेश शासन के निर्देशानुसार 4 फरवरी चौरी चौरा कांड के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में जनपद सोनभद्र में इसी स्थल से कार्यक्रम का शुभारंभ एवं 16 फरवरी 2021 को राजा सुहेलदेव की जयंती के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी एवं सेनानी परिजनों का सम्मान का कार्यक्रम आयोजित हो चुका है।