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(सोनभद्र कार्यालय)

  • हिन्दी पत्रकारिता दिवश पर आयोजित गोष्ठी में पत्रकारों ने ब्यक्त किये विचार
  • आध्यात्मिक, सांस्कृतिक व प्राकृतिक सम्पदा सम्पन्न है गुप्त काशी की धरा- भूपेश चौबे

सोनभद्र। यथार्थ के धरातल पर निकट से देखकर, समझकर और साक्ष्य संकलित कर विषय वस्तु को निष्पक्ष व निर्विवाद रुप से आमजनमानस में प्रसारित कर समाज को सकारात्मक संदेश देना पत्रकार का प्रमुख दायित्व है जिसका निर्वहन एक सच्चे कलमकार को करना चाहिए।
पत्रकारिता के स्वर्णिम इतिहास में अमर हमारे राष्ट्र गौरव जो भाषा, संस्कृति को अपने जीवन का मूल मंत्र मानकर शब्द साधना में सदा के लिए लीन हो गये लेकिन उनकी निष्ठा और कर्तब्य परायणता का प्रकाश पुंज माँ भारती के विशालकाय आंचल को आज भी रोशन कर रहा है आइये हम पत्रकारिता के उस स्वर्णिम युग में एक बार पुनः लौटने का प्रयास करें जहां से देव ऋषि नारद के सम्पूर्ण जीवन को पथ प्रदर्शक मानकर पं० जुगल किशोर शुक्ल, राजा राममोहन राय, महात्मा गांधी, पं मदन मोहन मालवीय, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, महावीर प्रसाद द्विवेदी, गणेश शंकर विद्यार्थी, श्री बाबू राव विष्णु पराड़कर, बाबू सम्पूर्णानंद, आचार्य नरेन्द्र देव ने देश, काल व समाज के प्रति अपने कर्तब्य का निर्वहन करते हुए जन विश्वास के साथ पत्रकारिता को नई ऊंचाई प्रदान किया तब हिन्दी पत्रकारिता दिवश की सार्थकता सही मायने में सिद्ध होगी।
उक्त बातें हिन्दी पत्रकारिता दिवश पर वरिष्ठ पत्रकार मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी के अध्यक्षता में निज आवास पर आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि सदर विधायक भूपेश चौबे की गरिमामयी उपस्थिति में विचार ब्यक्त करते हुए जनपद के कलमकारों ने कही।

जिसका सफल और सारगर्भित संचालन पत्रकार भोलानाथ मिश्र ने किया।
ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन तथा कवि एवं पत्रकार राकेश शरण मिश्र के वाणी वन्दना से प्रारम्भ हुआ यह कार्यक्रम पत्रकारों के अनुभव युक्त विचारों से अपने उद्देश्य की ओर बढ़ता रहा। हिन्दी पत्रकारिता दिवश पर आयोजित विचार गोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए सदर विधायक भूपेश चौबे ने कहा कि समाचार संकलन व प्रसारण के अलावा जनसेवा पत्रकारिता का प्रमुख धर्म है जिसका निर्वहन हम सभी को करना चाहिए और जब देश व समाज पर संकट छाया हो तथा मानवता खतरे में हो और समूचा भारत लॉक डाउन में लक्ष्मण रेखा खींचकर घर की डेहरी के भीतर सनातन परम्परा को आत्मसात कर विश्व कल्याण की कामना कर रहा हो तब भी हमारे कर्मवीर कलमकार जान हथेली पर रखकर निर्भीक व निडर हो अपने कर्तब्य का निर्वहन कर रहे हैं और समाचार पत्र, टेलीविजन प्रसारण व डिजिटल समाचार माध्यमों के द्वारा जनसमस्याओं से शासन व प्रशासन को रूबरू करा रहे थे इतना ही नही उन्होंने गुप्त काशी के आध्यात्मिक, धार्मिक, सांस्कृतिक व प्राकृतिक महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि की हम धन्य हैं जो हमे यहां जीवन जीने का अवशर मिला प्रकृति ने इस धरा को मूल्यवान औषधियों के साथ आध्यात्मिक व धार्मिक शक्ति भी प्रदान किया है जिसका संरक्षण आवश्यक है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मीडिया फोरम आफ इण्डिया न्यास के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष व आईएफडब्लूजे के राष्ट्रीय पार्षद मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि पत्रकारों को जिम्मेदार बनकर कार्य करना होगा लोभ, लाभ व हानि से परे रहकर अपना धर्म निभाते हुए पत्रकारिता को उस शिखर तक पहुंचाना होगा जहां सत्यता अपने चमक से देश व समाज को नई दिशा दे सके और पीढियां हम पर गर्व करें सही मायने पे पत्रकारिता दिवश पर आयोजित इस गोष्ठी की सार्थकता तभी सिद्ध होगी। मीडिया फोरम ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रमणि शुक्ल ने कहा कि पत्रकारिता का मार्ग जिम्मदारियों से भरा है जिस पर चलना कठिन है लेकिन सफलता पूर्वक इस राह पर चलकर जिसने मुकाम हाशिल किया उसने सकारात्मक ऊर्जा व श्रमशक्ति से आत्म सन्तुष्टि को प्राप्त किया है।
वरिष्ठ पत्रकार संजय पति तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता साधन- संसाधन की मोहताज नही है आवश्यकता है तो लक्ष्य को साधने की यदि लक्ष्य को साधकर सकारात्मक दिशा में प्रयास किया जाय तो लघु संसाधनों के द्वारा पत्रकारिता के क्षेत्र में असीम ऊंचाइयों को प्राप्त किया जा सकता है।

आईएफडब्लूजे के राष्ट्रीय पार्षद राजेश द्विवेदी “राज” ने कहा कि वर्तमान समय मे सोशल मीडिया सूचना का सबसे सशक्त माध्यम है जो सर्व सुलभ है लेकिन आवश्यक है कि हम विश्वसनीयता के कसौटी पर पूरी जिम्मेदारी के साथ इसका उपयोग करें और अपने विचार, समाचार, सूचना व सरोकार को प्रसारित करें।
गुप्त काशी सेवा ट्रस्ट के संयोजक रवि प्रकाश चौबे ने कहा प्राकृतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक व ऐतिहासिक मूल्यों व धरोहरों को संरक्षित करने की दिशा में पहल करते हुए शासन व प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराने हेतु कलमकार अपने लेखन शक्ति का प्रयोग करें जिससे गुप्तकाशी को विश्व मानचित्र पर प्रकृति व पर्यटन केन्द्र के रूप में स्थान मिल सके। सोन साहित्य संगम के संयोजक राकेश शरण मिश्र “गुरु” ने कहा कि कोविड संक्रमण व महामारी के इस दौर में पत्रकारों की भूमिका अहम है खबरों को जनता तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है जिसे अपना धर्म मानकर हमें पूरा करना होगा राष्ट्र व समाज के प्रति यही हमारी सच्ची सेवा होगी। पत्रकार प्रभात सिंह चन्देल ने कहा कि पत्रकारिता एक साधक के साधना की दीर्घकालीन जीवन यात्रा है जिसमें विभिन्न घटनाओं, स्थलों, कार्यक्रमों, सम सामयिक घटनाक्रमों को शब्दों में पिरोकर जन सरोकारों के जोड़कर सूचना संचार के माध्यम से प्रसारित करता है पत्रकारिता के विविध आयाम हैं मानो समूचा ब्रह्मांड ही इसमें समाया हुआ है।

मीडिया फोरम आफ इंडिया के जिलाध्यक्ष राजेश गोश्वामी ने प्रशासनिक व राजनैतिक शक्तियों का दुरुपयोग कर कलमकारों के उत्पीड़न पर चिन्ता जाहिर करते हुए कहा कि वर्तमान दौर में अनैतिक कार्यों में लिप्त राजनैतिक व प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त लोग पत्रकारों का दमन कर रहे हैं और पत्रकारिता खतरे में है। पत्रकार परमेश्वर दयाल पुष्कर ने कहा कि पत्रकार अपना धर्म निभाते हुए निष्ठा पूर्वक कर्म करता है लेकिन शासन अथवा प्रशासन से उसे अपेक्षित सहयोग प्राप्त नही होता कहने को तो हम देश के चतुर्थ स्तम्भ हैं लेकिन विधिक रूप से पत्रकारों कोई संवैधानिक शक्ति प्रदान नही की गयी है।

पत्रकार ऋषि झा ने कहा कि वर्तमान समय मे भारतीय मीडिया कर्तब्य से विमुख होकर वैचारिक संक्रमण के दौर से गुजर रही है और लोकतंत्र संकट में है।
कार्यक्रम के समापन अवशर पर गुप्तकाशी सेवा ट्रस्ट के संरक्षक सदर विधायक भूपेश चौबे व संयोजक रवि प्रकाश चौबे के द्वारा समस्त पत्रकारों को कोरोना कर्मवीर प्रमाण पत्र, अंगवस्त्रम, लेखनी-पुस्तिका फेस मास्क भेंट कर सम्मानित किया गया।

गोष्ठी में शोसल डिस्टेंस के नियमों को ध्यान में रखते हुए लोगों द्वारा सेनिटाइज रहकर दूरीयों का ध्यान रखा गया।
इस अवसर पर पत्रकार मनोज तिवारी, रामजी दुबे, सन्तोष नागर, विवेक पाण्डेय, किशन पाण्डेय, विनय सिंह चन्देल, राजन चौबे, ज्ञानदास कनौजिया, जगदीश तिवारी, नीरज पाठक, प्रमोद गुप्ता, अरविन्द तिवारी, आलोक पति तिवारी, संजीव श्रीवास्तव, राज कुमार सिंह समेत दर्जनों कलमकार मौजूद रहे।