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● ‘कोरोना के काटें’ भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज: चन्द्रशेखर प्राण
● गीतकार जगदीश पंथी का तीसरा काव्य संकलन जनता की अदालत में
विशेष संवाददाता द्वारा
सोनभद्र। धूप -छांव से भरी हुई जिंदगी के आंसू और मुस्कान ही कविता है। गीतकार जगदीश पंथी का यह काव्य संकलन ‘करोना के काटे’ आतंक के खिलाफ एक शंखनाद है। यह शंखनाद दूर-दूर तक गूंजेगा। यह रचना अत्याचार एवं आतंक के विरुद्ध अभिव्यक्ति है ।उक्त उदगार जनपद मुख्यालय स्थित नगर पालिका परिषद रावर्ट्सगंज के सभागार में ‘मधुरिमा साहित्य गोष्ठी’ द्वारा आयोजित ‘कोरोना के कांटे’ काव्य संकलन के विमोचन समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं चिंतक अजय शेखर ने व्यक्त किया। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि चंद्रशेखर प्राण व अन्य अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। सरस्वती वंदना गीतकार ईश्वर विरागी व कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ पत्रकार भोलानाथ मिश्र ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नेहरू युवा केंद्र के पूर्व निदेशक व तीसरी सरकार के संयोजक चंद्रशेखर प्राण ने कहा कि गीतकार जगदीश पंथी द्वारा लिखा गया यह काव्य संकलन ‘करोना के काटे’ विषम परिस्थिति में लिखी गई सार्थक रचना है। यह वर्तमान के लिए ही नहीं वरन भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष विरेंद्र कुमार जायसवाल ने कहा कि जगदीश पंथी का उदार व्यक्तित्व उनके साहित्य लेखन में भी देखने को मिलता है। यह काव्य संकलन कोरोना काल की परिस्थितियों को समझने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा । वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र नीरव ने कहा कि जगदीश पंथी समसामयिक कविताओं के प्रतीक है। कोरोना जैसे नीरस विषय को चुनकर पंथी जी ने उस अंतिम व्यक्ति को भी अपनी कविता में जीवंत कर दिया जो कोरोना की विकट स्थिति में भूख से मर रहा है। कोरोना के कांटे में पंथी जी प्रेरणा देते हुए दिखाई पड़ते है। संत कीनाराम महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ गोपाल सिंह ने कहा कि पंथी जी ने कोरोना काल में जब पूरी दुनिया सो रही थी केवल बूटो और लाठियों की ठक- ठक सुनाई पड़ रही थी, अपनी कलम को जीवंतता प्रदान कर रहे थे। यह रचना कोरोना काल का जीता जागता दस्तावेज है। वरिष्ठ साहित्यकार पारसनाथ मिश्र ने कहा कि पंथी जी ने करोना जैसे विषय को भी पढ़ने योग्य बना दिया। जिस समय पूरी दुनिया बैठी थी , उस समय पंथी जी रचना रच रहे थे । बहुत बड़ी विशेषता है लोक साहित्य अपने में लोक मन का लोक भाषा का लोक अभिव्यक्ति है । इस लोक भाषा में कोरोना काल के ऐतिहासिक स्वरूप को जिस प्रकार अभिव्यक्त दी गई है, यह भविष्य का दर्पण होगा ।इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार ओम प्रकाश त्रिपाठी , पूर्व विधायक तीरथ राज ,नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष कृष्ण मुरारी गुप्ता, मीडिया फोरम ऑफ
इण्डिया न्यास के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ने काव्य संकलन को जनसे जुड़ी सार्थक रचना बताया । कवि प्रदुम कुमार त्रिपाठी , सोन साहित्य संगम के निदेशक राकेश शरण मिश्र , दिवाकर द्विवेदी मेघ विजयगढ़ी , कौशल्या कुमारी, रूबी गुप्ता , चंद्रकांत शर्मा , सरोज सिंह विकास वर्मा, राजेन्द्र प्रसाद ,रामचंद्र पाण्डेय, दीपक कुमार केशरवानी, फरीद अहमद समेत बडी संख्या मे साहित्यकार कलमकार और जनपद के गणमान्य ऐतिहासिक
लोकार्पण समारोह के साक्षी बने थे ।
मधुरिमा साहित्य गोष्ठी द्वारा आयोजित लोकार्पण समारोह में स्वागत भाषण और विषय प्रवर्तन करते हुए कवि जगदीश पंथी ने उन परिस्थितियों एवं स्थितियों पर प्रकाश डाला जिनसे इस रचना के रचने के लिए
प्रेरणा मिली । उदघाटन भाषण में असुविधा के संपादक कथाकार ,रामनाथ शिवेंद्र ने साहित्यकार और साहित्य के महत्वपर सम्यक प्रकाश डाला ।