सोनभद्र-: आत्मनिर्भर भारत के मार्ग के बन रहे रोड़े, भड़काऊ टीवी चैनलों पर लगे नियंत्रण-(भोलानाथ)

 सोनभद्र-: आत्मनिर्भर भारत के मार्ग के बन रहे रोड़े, भड़काऊ टीवी चैनलों पर लगे नियंत्रण-(भोलानाथ)

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विशेष संवाददाता/सोनभद्र

सोनभद्र। जनपद के प्रबुद्ध जनों ने बुधवार को देश की वर्तमान परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ टीवी चैनलों को छोड़ दिया जाय तो
अधिकांश चैनल अपने भड़काऊ टीवी डिबेटों के चलते देश का न केवल सौहार्द बिगाड़ रहे हैं बल्कि आत्मनिर्भर हो रहे भारत की छवि भी दुनियां में खराब कर रहे हैं । शाम 5 बजे से लेकर रात 10 तक ये चैनल उलूल जुलूल बातों को बढ़ाचढ़ा कर ऐसे पेश करते है जैसे बहुत बड़ी घटना घट गई हो । राजनीतिक दलों के प्रवक्ता
और धर्मगुरु, राजनीतिक विश्लेषक एंकरों के चढ़ाने पर
उत्तेजित होकर गाली गलौज और हांथा पाई तक कि नौबत
पे आ जाते हैं । एक दूसरे को जली कटी तो सुनाते ही है
साथ ही एक दूसरे के शीर्ष नेतृत्व को भी गाली गलौज में
घसीट लेते हैं । राई का पर्वत और पर्वत को राई बनाकर पेश करने वाले एंकर किसी की जुबान फिसलने के मौके की तलाश में घात लगाए रहते है । जैसे ही किसी की जुबान फिसली नही कि उस बात का बत्तड़ंग बनाकर पूरी दुनियां में रायता फैला देते है जिसके कारण भारत की छवि अंतराष्ट्रीय विरादरी में न केवल धूमिल हो जा रही है बल्कि ऐसे ऐसे देश नसीहत देने के लिए अवसर पा जाते है जिनका ट्रैक रिकार्ड बेहद खराब हैं । वर्तमान स्थिति की जड़ में टीवी डिबेट में उपजी कटुता पूर्ण खीझ ही थी ।
मीडिया फोरम ऑफ इण्डिया न्यास प्रयाग के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी कहते
है कि मीडिया का धर्म है कि यदि किसी की जुबान फिसल गई या फिर आवेश में कोई बात मुंह से निकल गई तो उसी समय सौहार्द पूर्ण वातावरण बनाकर उस विषय
को तूल नही देना चाहिए। यह भी हो सकता है कि तुरंत स्पष्टीकरण दिलाकर खेद व्यक्त कराकर मामले को शांत करा दिया जाए।

वरिष्ठ पत्रकार एवं शिक्षाविद भोलानाथ मिश्र
का मानना है कि बेरोजगारी ,
बिजली कटौती , भ्रष्टाचार , हत्या , बलात्कार आदि विषयों पर सार्थक चर्चा तर्कपूर्ण होनी चाहिए लेकिन संवेदनशील मुद्दों को जिसका समाज पर विपरीत प्रभाव पड़ने वाला हो उससे बचने या संयम बरतने की जरूरत है ।

साहित्यकार राकेश शरण मिश्र ने कहा कि भड़काऊ बयान पर डिबेट कराने से बचना चाहिए । देश की एकता,अखण्डता, सौहार्द , समरसता , विकास और देश व जनहित के मद्देनजर समाचार की प्रस्तुति होनी चाहिए । समाचार वह हो जिससे सौहार्द बढ़े ।


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