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◆ आईपीएफ का धरना 32वें दिन भी रासपहरी में जारी खोतोमहुआ में हुई सभा

संवाददाता- मुकेश सोनी

म्योरपुर। सरकारें चाहे जिसकी रही हो आदिवासियों को उनके अधिकारों से वंचित किया गया। उनके अस्तित्व और अस्मिता दोनों पर हमला किया गया। संसद से पारित वनाधिकार कानून को किसी सरकार ने लागू नहीं किया। जबकि इस संबंध में सपा और भाजपा सरकारों में हाई कोर्ट ने आदेश दिया। किसी तरह संघर्ष के बदौलत दुद्धी और ओबरा की दो सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हुई उन्हें भी छीनने में लोग लगे हुए है। आज भी आदिवासी इलाज के अभाव में बेमौत मर जाते है। बभनी और म्योरपुर के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। पीने के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था तक नहीं है। मनरेगा का हाल बेहाल है लोगों को काम नहीं मिल रहा और जिन्हें काम मिला उनकी मजदूरी बकाया है। सरकारी डिग्री कॉलेज और विद्यालयों के अभाव में बच्चों को बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ती है। बभनी के पोखरा में डिग्री कॉलेज पिछले 6 साल से बन रहा है जिसे चालू नहीं किया गया। इसलिए दुद्धी में जन राजनीति की जरूरत है जो आदिवासी के अधिकारों की रक्षा करें और उन्हें उनके अधिकारों को दिलाने का काम करें यह बातें शुक्रवार को खोतोमहुआ में हुई सभा में आईपीएफ नेताओं ने कहीं। वही रासपहरी में लखीमपुर किसान नरसंहार के जिम्मेदार गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को बर्खास्त करने और गिरफ्तार करने, वनाधिकार कानून के तहत पुश्तैनी जमीन पर अधिकार देने, मनरेगा में काम और समय पर मजदूरी, आदिवासी छात्राओं के लिए निशुल्क आवासीय उच्च शिक्षा, शुद्ध पेयजल, आवागमन के साधन, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे सवालों पर आईपीएफ का धरना 32वें दिन भी जारी रहा।
धरने व आम सभा में आईपीएफ जिला संयोजक कृपाशंकर पनिका, मजदूर किसान मंच जिलाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद गोड़, देवकुमार विश्वकर्मा सहित दर्जनों लोग मौजूद रहे।