सोनभद्र कार्यालय
● अर्थदंड की समूची धनराशि नियमानुसार पीड़िता को मिलेगी
● चार वर्ष पूर्व घर में चाकू दिखाकर नाबालिग लड़की के साथ किया था मुंह काला
सोनभद्र। चार वर्ष पूर्व घर में अकेली नाबालिग लड़की को पाकर चाकू दिखाकर जबरन दुष्कर्म करने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट पंकज श्रीवास्तव की अदालत ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी झोलाछाप डॉक्टर सुनील बैसवार को 10 वर्ष की कैद एवं 55 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की समूची धनराशि नियमानुसार पीड़िता को मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक जुगैल थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति ने 25 फरवरी 2017 को एसपी को दिए शिकायती पत्र में आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी की तवियत खराब थी तो घोरावल थाना क्षेत्र के शिल्पी गांव निवासी झोलाछाप डॉक्टर सुनील बैसवार जो वर्तमान में जुगैल थाना क्षेत्र के कुरछा गांव में रहता है को बुलाया गया था। जब उसकी नाबालिग लड़की गिलास में पानी लेकर डॉक्टर को देने के लिए आयी तो डॉक्टर ने उसके साथ छेड़छाड़ करने लगा। जब इसकी जानकारी हुई तो डॉक्टर माफी मांगने लगा और कहा कि अब भविष्य में गलती नहीं होगी। तब मामला शांत हो गया। एक दिन घर पर अकेली उसकी नाबालिग लड़की थी तभी डॉक्टर सुनील बैसवार घर पर आ गया। आते ही बेटी से पूछा कि तुम्हारी मम्मी की तबियत कैसी है और कहां पर हैं। जब बेटी ने बताया कि मम्मी की तबियत ठीक है और वह घर पर नहीं है आप जाइए। इतना सुनते ही डॉक्टर सुनील ने बेटी के पेट पर चाकू सटा दिया, जिसकी वजह से बेटी डर गई और वह जबरन दुष्कर्म किया। जब वह चिल्लाने लगी तो शोरगुल की आवाज सुनकर कई लोग आ गए तो चाकू लहराते हुए जान मारने की धमकी देते हुए भाग गया। एसपी के निर्देश पर एक मार्च 2017 को जुगैल थाने में झोलाछाप डॉक्टर सुनील बैसवार के विरूद्ध दुष्कर्म एवं पॉक्सो एक्ट में एफआईआर दर्ज किया गया। विवेचक ने विवेचना के दौरान पर्याप्त सबूत मिलने पर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया था। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी झोलाछाप डॉक्टर सुनील बैसवार को 10 वर्ष की कैद एवं 55 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। वहीं अर्थदंड की समूची धनराशि नियमानुसार पीड़िता को मिलेगी। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील दिनेश अग्रहरि एवं सत्यप्रकाश त्रिपाठी एडवोकेट ने बहस की।