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सोनभद्र कार्यालय
◆ कुहार देता है बर्तन को आकार, गुरू देता है जीवन में बढ़ने की शिक्षा: पूनम शुक्ला
रेणुकूट। ५ सितम्बर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। एक बार राधा कृष्णन के कुछ शिष्यों ने मिलकर उनका जन्मदिन मनाने का सोचा। इसे लेकर जब वे उनसे अनुमति लेने पहुंचे तो राधाकृष्णन ने कहा कि मेरा जन्मदिन अलग से मनाने की बजाय अगर शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो मुझे गर्व होगा। इसके बाद से ही ५ सितम्बर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। पहली बार शिक्षक दिवस १९६२ में मनाया गया था। इसी कडी मे रेणुकूट के खाडपाथर में मौजूद पं जगत नारायण इंटरमीडिएट विद्यालय में शिक्षक दिवस बडे ही हर्षोउल्लास के साथ शिक्षक व अध्यापको ने मिलकर मनाया। विद्यालय के प्रधानाचार्या शैलेश कुमार तिवारी ने कहा कि जीवन में शिक्षक हमें केवल पढ़ाते ही नहीं है बल्कि हमें जीवन के अनुभवों से गुजरने के दौरान अच्छे-बुरे के बीच फर्क करना भी सिखाते हैं। वही शिक्षक हमारा मार्गदर्शन करते हैं कि जीवन में कभी भी कुछ अच्छा और ज्ञानवर्धक सीखने को मिले तो उसे तुरंत ही आत्मसात करना चाहिए। वह अपने छात्रों को पढ़ाते समय उनको पढ़ाई कराने से ज्यादा उनके बौद्धिक विकास पर ध्यान देते थे। विद्यालय की उपाध्यक्ष पूनम शुक्ला ने बच्चो को बताया कि जिस प्रकार एक कुम्हार बेकार पड़ी मिट्टी को बर्तन का आकार देकर उसे मूल्यवान बनाता है, ठीक उसी प्रकार शिक्षक भी छात्रों के जीवन को सफल बनाते हैं। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए बच्चो के साथ सुषमा सिंह, घनश्याम तिवारी, याकूब अंसारी, शिवेंद्र शुक्ल, प्रभा मौर्य, अलका चौबे, श्वेता श्रीवास्तव, सनोज यादव वीरेंद्र धर द्विवेदी रहे मौजूद।