सोनभद्र-: पराधीनता से स्वाधीनता तक का दौर देखा था सेनानी बुद्धि सागर शुक्ला ने, महात्मा गांधी के आवाहन पर कूद पड़े थे स्वतंत्रता आंदोलन में

 सोनभद्र-: पराधीनता से स्वाधीनता तक का दौर देखा था सेनानी बुद्धि सागर शुक्ला ने, महात्मा गांधी के आवाहन पर कूद पड़े थे स्वतंत्रता आंदोलन में

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◆ सेनानी बुद्धिसागर शुक्ला की प्रतिमा का हुआ अनावरण

◆ डौमखरी गांव का पीपल का पेड़ अंग्रेजों के अत्याचार का गवाह है

घोरावल (सोनभद्र)। अंग्रेजों के हौसले पस्त करने करने वाले प्रखर सेनानी बुद्धिसागर शुक्ल की प्रतिमा का अनावरण गांधी कहे जाने वाले प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित महादेव प्रसाद चौबे एवं पंडित प्रभा शंकर चौबे के पौत्र व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे विजय शंकर चतुर्वेदी ने प्रतिमा का अनावरण कर माल्यर्पण किया। इस दौरान उन्होंने अंग्रेजों के ज़ुल्म की चर्चा करते हुए कहां कि-” जब बुद्धिसागर शुक्ल सत्याग्रह कर रहे थे तो गांव में स्थित बरगद के पेड़ में बांधकर उन्हें मारा पीटा जाता था। अंग्रेज सिपाहियों का लोगो को डर इतना होता था कि विद्यासागर शुक्ला कई घंटों से बंधे रहते थे लेकिन कोई भी ग्रामवासी अंग्रेजों की प्रताड़ना के डर से उन्हें पेड़ से नहीं खोलता था। वही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिजन एवं इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी ने सेनानी के त्याग का उल्लेख करते हुए कहां कि-विद्यासागर शुक्ल का जन्म 30 अगस्त 1930 ईस्वी को ग्राम डोंमखरी में हुआ था और महात्मा गांधी के आवाहन पर सन 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिए तत्पश्चात 16 अप्रैल 1941 को इन्हें गिरफ्तार कर 3 महीने और ₹50 जुर्माने की सजा दी गई, सेनानी विद्यासागर शुक्ल ने पराधीनता से स्वाधीनता तक का भी दौर देखा। जिसके अंतर्गत अपनी लोकप्रियता के कारण सन 1949 से लेकर 1972 तक ग्राम प्रधान पद पर निर्वाचित हुए। और 2 नवंबर 2000 को इनका निधन हुआ था। समाजसेवी शशिभूषण पांडेय ने आजादी के संघर्ष के दौरान विचारों के सम्प्रेषण में प्रयुक्त संसाधनों की चर्चा करते हुए परिवर्तन नामक समाचार पत्र का उल्लेख किया, उन्होंने बताया की बुद्धिसागर शुक्ल शहीद उद्यान से अखबार लेकर घोरावल क्षेत्र में वितरित कर दिया करते थे। इस दौरान नवयुवक मंगल दल के जिलाध्यक्ष सौरभकान्त पति तिवारी ने डोमख़री की मिट्टी को नमन करते हुए कहा कि- आने वाली पीढियां बुद्धिसागर शुक्ल जी से प्रेरणा लेंगी।
इस अवसर पर वरिष्ठ शिक्षक, पत्रकार भोलानाथ मिश्र ने आजादी के अमृत महोत्सव पर प्रकाश डालते हुए कहां कि सेनानी बुद्धिसागर का देश स्वतंत्रा में महत्वपूर्ण योगदान रहा है और आगे वाली आगे आने वाली पीढ़ियां उनके योगदान को याद करेंगी। वही बुद्धि सागर शुक्ला के पौत्र अजीत शुक्ला और अरविंद शुक्ला ने अतिथियों को गांधी टोपी और तिरंगा गमछा भेंट किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम प्रधान भान सिंह ने किया। मूर्ति अनावरण समारोह में मुख्य रूप से अमृतसर दुबे, परमेश्वर शुक्ला, प्रभा शंकर शुक्ला, दशरथ शुक्ला, प्रमोद शुक्ला, सरोज सिंह, रुद्र प्रताप सिंह, मनोज कुमार सिंह, सुनील चौबे, प्रेम शंकर पांडे, उदय बहादुर सिंह, नंद किशोर ओझा, मारकंडेय सिंह, तपेश्वरी सिंह, सिद्धनाथ दुबे, हरिदास विश्वकर्मा, रामजी रोहित पांडे दुर्गावती, इंद्रावती, अंकित सहित आदि लोग उपस्थित रहे।


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