सोनभद्र-: फ्लोरोसिस जैसी ला-ईलाज बीमारी से बचाव का प्रयास कर ही है बनवासी सेवा आश्रम आरोग्य केन्द्र

 सोनभद्र-: फ्लोरोसिस जैसी ला-ईलाज बीमारी से बचाव का प्रयास कर ही है बनवासी सेवा आश्रम आरोग्य केन्द्र

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संवाददाता- मुकेश सोनी

म्योरपुर। स्वास्थ्य के क्षेत्र में आश्रम का प्रयास है कि सभी लोग स्वस्थ्य व निरोग रहे जिससे स्वस्थ्य समाज की रचना हो सके। लेकिन प्रदुषण की मार झेल रही दर्जनों गांव के सैकडो़ लोग फ्लोरिसस बीमारी पीड़ित हैं। सरकार के पास जाएगें तो कैंप लगाकर इलाज के नाम पर कुछ दवा दे देते हैं जो शायद क्षणिक पीड़ा कम होगा लेकिन स्थायी निजात नहीं मिल सका। इसी तरह फ्लोराइड बहुतायत वाले आश्रम मुख्यालय से लगा हुआ दो गांव कुस्महां व गोविन्दपुर है जहां 4PPM/ से 8PPM/पर लीटर वाला पी रहे थे तथा जिनके पेशाब में 14 से 18 PPM फ्लोराईड पाया गया है जो बहुत खतरनाक है। लोगों के शरीर में टेढापन, हडडी कमजोर दांत पीला जैसी बीमारी है। आश्रम पीपीआई व पर्यावरण वैज्ञानिक अनिल गोतम जी व प्रेमनारायण जी के सहयोग से बचाव के उपाय का वीडा़ उठाया है। इन गांवों के लगभग 600 लोगों के पेशाब व पेयजल श्रोत का जांच कर फ्लोराइड की मात्रा पता किया गया। जिन पेयजल श्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा सामान्य मानक से अधिक है उन श्रोतों पर लाल चिन्ह् लगाकर पानी पीने से मना किया गया,जो लोग 4PPM/लीटर फ्लोराइड वाला पानी पी रहे थे व जिनके पेशाब 14 PPM से अधिक फ्लोराईड मिला वैसे 25 जरूरतमंद परिवार को फ्लोराइड रिम्यूवल पानी कीट, व पोष्टिक आहार वितरण व लोगों को पोषण वाटिका लगाने के लिए प्ररित किया गया। अभी पांच महीने बाद पुन: जांच में पाया गया कि जो लोग फिल्टर का पानी पी रहे है वे 1PPM/लीटर से कम फलोराईड वाला पानी पी रहे है और स्वस्थ लग रहे हैं। कार्यक्रम संयोजक प्रदीप सिंह कहना है आगे 80 जरूरत मंद परिवार को मदद की तैयारी है। इसका अर्थ है इलाज संभव‌ है। सरकार नहीं चाहती कि लोगों जान बचे। सभी को जानकारी है कि NGT पांच वर्ष पहले ही प्रदुषण से होने वाले बीमारियों के जांच के लिए “टाक्सीलाजिकल” लैब की स्थापाना का आदेश दे चुकी है। लेकिन सरकार कोर्ट के आदेश को पूरी तरह नजर अन्दाज कर रही है। इसका एक ही इलाज है हम‌ जागरूक बने और इस हक को प्राप्त करें।


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