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जिला प्रशासन ने भुला दिया सेनानियों को।

-सेनानियों के परिजन मर्माहत।

-भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार चौरी चौरा शताब्दी वर्ष में ज्ञात-अज्ञात शहीदों को सेनानियों को कर रही है याद।

– शिलापट्ट पर सेनानियों का नाम अंकित करने की मांग।

-चौरी चौरा शताब्दी वर्ष में इस शासन द्वारा निर्धारित कार्यक्रम का हो आयोजन।

रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र) ।शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा…
देश भक्ति से भरी यह क्रांतिकारी पंक्तियां जिला प्रशासन सोनभद्र के लिए बेमानी साबित हो रही है।
4 फरवरी 2021 को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणादायी, जनक्रांति, चौरी चौरा आंदोलन के 100 वे वर्ष में प्रवेश के अवसर पर संपूर्ण देश में चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव का आयोजन किया गया सोनभद्र जनपद के परासी दुबे में मिर्जापुर जनपद के प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित महादेव प्रसाद की कर्मस्थली शहीद उद्यान में स्थापित गौरव पर स्तंभ पर 4 फरवरी 2021 को अच्छा राज्यमंत्री व प्रभारी मंत्री डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी द्वारा गौरव स्तंभ परसेनानी के परिजनों को सम्मानित किया गया था।
4 फरवरी 2021 से 4 फरवरी 2022 तक शहीदों, क्रांतिकारियों, देशभक्तों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से जुड़े स्थलों, स्मारको पर फोटो प्रदर्शनी, अभिलेख प्रदर्शनी, ज्ञात- अज्ञात शहीदों एवं घटनाओं पर सर्वेक्षण, शोध प्रकाशन आदि के कार्यक्रम वर्ष भर आयोजित किए जाएंगे लेकिन इसके विपरीत जनपद मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज में चाचा नेहरू पार्क में स्थापित स्तंभ पर रॉबर्ट्सगंज विकासखंड के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की अंकित सूची से अविभाजित मिर्जापुर जनपद के दक्षिणांचल (वर्तमान सोनभद्र) रॉबर्ट्सगंज एवं दुद्धी तहसील में स्वतंत्रता की अलख जगाने वाले मिर्जापुर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पंडित महादेव प्रसाद चौबे इनके सुपुत्र पंडित प्रभा शंकर चौबे रॉबर्ट्सगंज टाउन एरिया के द्वितीय चेयरमैन एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बलराम दास केसरवानी, चंद्रशेखर वैद्य, अली हुसैन उर्फ (बेचू) देशभक्तों, क्रांतिकारियों, सेनानियों शिलापट्ट पर अंकित नहीं है।
इस स्थल के ऐतिहासिक महत्व के बारे में शोधकर्ता इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी के बताते हैं कि-“25 दिसंबर सन 1937 को इस स्थल (कंपनी बाग) में मिर्जापुर का तृतीय राजनैतिक सम्मेलन का आयोजन हुआ था और इस सम्मेलन में लोकप्रिय नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू, रफी अहमद किदवई, मुरारीलाल सचिंद्र सान्याल सहित अन्य नामी-गिरामी नेताओं का आगमन हुआ था।
पंडित नेहरू को रॉबर्ट्सगंज टाउन एरिया से प्रथम चेयरमैन, सेनानी बद्रीनारायण केसरवानी द्वारा ₹151 की थैली भेंट की गई थी जिसको नेहरू जी ने कांग्रेस कमेटी में दान दे दिया था। सम्मेलन की तैयारी एवं आयोजन में पंडित महादेव प्रसाद चौबे, बलराम दास केसरवानी सहित अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा, यह सम्मेलन 3 दिन तक चला था और पंडित जवाहरलाल नेहरू की मिर्जापुर के दक्षिणांचल की यह प्रथम यात्रा थी।

15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र संग्राम सेनानी बलराम दास के नेतृत्व में जुलूस निकाला गया और इसी स्थल पर तिरंगा ध्वज फहराया गया था, इस अवसर एक उच्च शिक्षण संस्थान की स्थापना का भी संकल्प लिया गया था। कालांतर में इस स्थल पर विकासखंड रॉबर्ट्सगंज जिला मिर्जापुर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम वाले शिलापट्ट की स्थापना कराई गई थी, तत्पश्चात 4 मार्च 1989 को मिर्जापुर जनपद को विभाजित कर नवीन जनपद सोनभद्र की स्थापना तत्कालीन सरकार द्वारा किया गया । जिसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी द्वारा किया गया था, तत्पश्चात नगर पालिका परिषद के तत्कालीन चेयरमैन जितेंद्र सिंह के कार्यकाल में इस स्थल पर चाचा नेहरू बाल उद्यान का निर्माण कराया गया 4 दिसंबर 1993 को इसका विधिवत शिलान्यास किया गया था, इसके पश्चात तत्कालीन चेयरमैन कृष्ण मुरारी गुप्ता द्वारा उद्यान का सुंदरीकरण एवं शिलान्यास 2 अक्टूबर 2014 को किया गया था।
इस पार्क में स्थापित शिलापट्ट पर प्रत्येक राष्ट्रीय पर्वों पर सेनानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किया जाता है। शिलापट्ट पर अंकित सेनानियों के नाम आधे और अधूरे हैं और कुछ सेनानियों के नाम अंकित नहीं है।
परासी दुबे में अवस्थित शहीद उद्यान में लगे गौरव स्तंभ पर जनपद मिर्जापुर (चुनार तहसील) के सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रोफेसर विश्राम सिंह द्वारा लिखित मिर्जापुर के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास पर आधारित जनपद सोनभद्र के 112 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम अंकित है।
उपरोक्त ऐतिहासिक अभिलेखीय त्रुटियों पर शासन- प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के निदेशक दीपक कुमार केसरवानी ने उत्तर प्रदेश शासन से यह मांग किया कि इस स्थल की महत्ता को बरकरार रखते हुए यहां पर स्थापित स्तंभ पर छूटे हुए सेनानियों का नाम अंकित कराते हुए जनपद के सभी 112 सेनानियों के परिजनों एवं ऐतिहासिक घटनाओं का सर्वेक्षण कराते हुए अन्य सेनानियों के उत्तराधिकारी को सम्मानित किया जाए एवं शासन द्वारा निर्धारित चौरा चौरी शताब्दी वर्ष के अंतर्गत होने वाले कार्यक्रमों का आयोजन इस स्थल पर कराया जाए। ताकि आगे आने वाली पीढ़ियों को सत्य, प्रमाणित ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी मिल सके, अपने जनपद के इतिहास से परिचित हो सके।