सोनभद्र-: रेणुकूट में भगवान परशुराम जन्मोत्सव श्रद्भा एवं उल्लास के साथ मनाया गया

 सोनभद्र-: रेणुकूट में भगवान परशुराम जन्मोत्सव श्रद्भा एवं उल्लास के साथ मनाया गया

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किशन पाण्डेय/सोनभद्र

रेणुकूट। स्थानीय रेणुकूट नगर पंचायत क्षेत्र में स्थित अखिल भारतीय परशुराम परिषद के जिला कार्यालय पर भगवान परशुराम जन्मोत्सव कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया । अध्यक्षता पं उमेश ओझा ने की । कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण के साथ प्रारंभ हुआ। मंचासीन अतिथियों का स्वागत संयोजक पं प्रवीन दूबे ने अंगवस्त्रम एवं माल्यार्पण के साथ किया । बैठक में बतौर मुख्य अतिथि के रूप उपस्थित प्रसिद्ध कथा वाचक दिलीपकृष्ण महाराज ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि परशुराम जी में एक ब्राह्मण ऋषि के यहाँ जन्मे थे। जो विष्णु के छठावें अवतार हैं । पौरोणिक वृत्तान्तों के अनुसार उनका जन्म महर्षि भृगु के पौत्र महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को मध्यप्रदेश के इन्दौर जिला में ग्राम मानपुर के जानापाव पर्वत में हुआ। वे भगवान विष्णु के अंशावतार हैं। महाभारत और विष्णुपुराण के अनुसार परशुराम जी का मूल नाम राम था किन्तु जब भगवान शिव ने उन्हें अपना परशु नामक अस्त्र प्रदान किया तभी से उनका नाम परशुराम जी हो गया। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम कहलाए। वे जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुराम जी कहलाये। आरम्भिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में प्राप्त होने के साथ ही महर्षि ऋचीक से शार्ङ्ग नामक दिव्य वैष्णव धनुष और ब्रह्मर्षि कश्यप से विधिवत अविनाशी वैष्णव मन्त्र प्राप्त हुआ। तदनन्तर कैलाश गिरिश्रृंग पर स्थित भगवान शंकर के आश्रम में विद्या प्राप्त कर विशिष्ट दिव्यास्त्र विद्युदभि नामक परशु प्राप्त किया। शिवजी से उन्हें श्रीकृष्ण का त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्तोत्र एवं मन्त्र कल्पतरु भी प्राप्त हुए। चक्रतीर्थ में किये कठिन तप से प्रसन्न हो भगवान विष्णु ने उन्हें त्रेता में रामावतार होने पर तेजोहरण के उपरान्त कल्पान्त पर्यन्त तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया। बतौर वक्ता डाँ प्रज्ञा तिवारी ने बताया की भगवान परशुराम न्याय एवं अन्याय के संघर्ष धर्म संस्थापना हेतु प्रतिबद्ध है अतः जब भी मानव जाति संकट में आएगी तब तब भगवान परशुराम को स्मरण किया जाता रहेगा | वहीं पं निशांत पाण्डेय(गोकुल) ने कहा कि समाज को अब जागरुक होना पड़ेगा क्योकि हमें ही समाज की कुरीतियों को दूर करना है ।कार्यक्रम के अंत में व्यापार मंडल अध्यक्ष सूरज ओझा ने धन्यवाद ज्ञापित किया । इस कार्यक्रम में मुख्य रुप से पं अवधेश मिश्रा, पं प्रवीण पाण्डेय,पंडित बृजेश पाण्डेय ,पंडित पंकज ओझा, पंअक्षय चतुर्वेदी ,पंडित रमाशंकर पांडे ,पंडित राज नारायण मिश्रा पंसंतोष पाठक,पं मनोज तिवारी,पं सुनील दुबे, पं अमरेश चंद दुबे, पंअमित पांडे , पं महेश पाण्डेय,,पंओम प्रकाश दुबे ,पं विमल पाण्डेय,पं लोकभिराम त्रिपाठी,पं विजय नाथ पाण्डेय,पं संतोष शुक्ला आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन मस्तराम मिश्रा ने किया ।


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