सोनभद्र-: शिवरतन गोड को आज भी याद करते हैं दुद्धी के लोग

 सोनभद्र-: शिवरतन गोड को आज भी याद करते हैं दुद्धी के लोग

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सोनभद्र कार्यालय-(7007307485)

सोनभद्र। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में सोनभद्र जनपद के स्वर्णिम इतिहास के पन्ने पर दर परत खुल रहे हैं, जब हम सोनभद्र जनपद की इतिहास की चर्चा कर रहे हो ऐसी स्थिति में काला पानी के नाम से देश में विख्यात दुद्धी तहसील की चर्चा आवश्यक हो जाती है। पराधीनता के काल में मिर्जापुर जनपद के दुद्धी तहसील क्षेत्र को काला पानी के नाम से जाना जाता था। उस समय क्षेत्र हिंसक जानवरों, वनों से भरा पूरा था । ना सड़के थी ना पीने के लिए पानी था क्षेत्र के लोग अक्सर मलेरिया बुखार से पीड़ित रहा करते थे जब ब्रिटिश अधिकारियों को अपने कर्मचारियों को सजावट देनी होती थी तो पता और उनका स्थानांतरण दुद्धी क्षेत्र में कर दिया करते थे। ब्रिटिश अधिकारी जब अपने अधिकारियों कर्मचा मनरियों से रुष्ट होते थे तो उनका स्थानांतरण क्षेत्र में कर दिया करते थे। दुद्धी में निवास करने वाले आदिवासी जातियों में देश सेवा भावना प्रबल थी,वे देश पर सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तैयार रहते थे। महात्मा गांधी के आवाहन पर तहसील दुद्धी के रामेश्वर खरवार, सुखलाल खरवार, शनिचर राम खरवार, बोधा पनिका, पूरन खरवार, जगन्नाथ खरवार, चिंतामणि खरवार ने ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लिया और प्रताड़ना के शिकार हुए। इस
क्षेत्र के लोग जहां एक ओर आजादी के लिए ब्रिटिश सरकार से लड़ रहे थे, वहीं दूसरी ओर कुछ नौजवान सैन्य सेवा कर रहे थे। सेना में अपनी अदम्य साहस, वीरता का परिचय देने वाले मिर्जापुर (सोनभद्र) जनपद के दुद्धी तहसील के रणबांकुरे शिवरतन गोड का नाम सोनभद्र के इतिहास के पन्नों में दर्ज है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र दुद्धी के बघाडू गांव में धनीराम गोड के घर में जन्मे शिवरतन गोड ने स्थानीय स्तर पर हिंदी एवं उर्दू भाषा में शिक्षा प्राप्त किया। बचपन से ही खेलकूद, व्यायाम, कसरत में रुचि होने के कारण 22 वर्ष की अवस्था में एलएमसी यूनिट नंबर 43 आई एस डी एम एस में 23 मई सन 1943 को सेना में स्पीकर पद पर भर्ती हुए जिनका सीरियल नंबर 2251/38 था।
एच क्यू आई ए एम सी पुणे से 25 मार्च 1947 को सेवानिवृत्त हुए थे।
आज की इस क्षेत्र के निवासी स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं सैन्य सेवा करने वाले शिवरतन गोड को याद करते हैं।


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