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प्रतापगढ़ कार्यालय

प्रतापगढ़। भारत-भारतीय ने 22वें वर्ष सगरासुन्दरपुर में कवियों की शानदार महफिल सजाने का काम किया जिसमें देश के श्रेष्ठ काव्य शिल्पियों ने राष्ट्रीय एकता, प्रेम, सौहार्द, समरसता, बन्धुत्व का ताना बाना बुना। साथ ही हास्य कविताओं से श्रोताओं को लोटपोट किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ आधुनिक समाचार दैनिक प्रयागराज के सम्पादक डाॅ०पुनीत अरोरा ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया।

प्रताप बाराबंकवी की सुमधुर वाणी वन्दना से प्रारम्भ हुए इस सारस्वत यज्ञ में कवियों ने अपनी श्रेष्ठ रचनाओं से श्रोताओं का दिल जीत लिया। रायपुर से पधारे रमेश प्रताप सिंह ‘कपूत’ ने अपनी हास्य -व्यंग्य की रचनाओं से श्रोताओं को न केवल लोटपोट किया बल्कि अपने तीखे व्यंग्य से श्रोताओंक को एक सुघर चिन्तन दिया।
गीतकार अजय सोनी ने माँ पर काव्य पाठ करके वातावरण को मातृभक्ति से रस सिक्त किया।
भदोही के ओजकवि सन्दीप कुमार ‘बाला’ने देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत किया तो सोनभद्र के ओजस्वी गीतकार प्रद्युम्न तिवारी पद्म ने सौहार्द एवं समरसता का काव्यमय संदेश दिया। कानपुर के गीतकार डाॅ०राधेश्याम मिश्र ने श्रृंगार एवं अध्यात्म चिन्तन की रचनाओं से लोगों को भाव विभोर किया। लखनऊ से पधारे बीरेन्द्र कुसुमाकर ने कैकेयी खण्ड काव्य का वाचन करते हुए वातावरण को करुण रस से भर दिया। प्रयागराज बिहारी लाल अम्बर ने श्रोताओं को हँसा-हँसा कर लोटपोट कर दिया। राम लोचन साँवरिया ने गाँव की बात करके लोगों को हँसाया।

अध्यक्षता कर रहे प्रताप बाराबंकवी ने अपनी हास्य कविताओं से लोगों का मन जीत लिया।
कार्यक्रम के संयोजक एवं संचालक डाॅ०रणजीत सिंह ने ‘मेरी माँ बुलाती है ‘कविता से वीररस का प्रवाह करते हुए राष्ट्रीय चिन्तन एवं चेतना को जागृत किया।
उन्होंनेडाॅ०पुनीत अरोरा को सरदार बलदेव सिंह सम्मान,संतोष भगवन सम्पादक लोकमित्र को श्री राम प्रसाद सिंह सम्मान, प्रताप बाराबंकवी को श्री मगदूम सिंह सम्मान,कपूतजी को बाबू श्री नन्हें सिंह सम्मान,बीरेन्द्र सिंह कुसुमाकर को श्री प्रेमजी जायसवाल सम्मान,डाॅ०राधेश्याम
मिश्र को पं०उदय नारायण ओझा
सम्मान से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्ववित्त पोषित महाविद्यालय एसोशियेशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष कुन्दन सिंह ने साहित्य एवं कवियों को राष्ट्र का पथ प्रदर्शक बताया।
विशिष्ट अतिथि समाजसेवी
अभिनन्दन सिंह ‘किल्लू ‘एवं शिव
शंकर ओझा ने कवियों के महत्व
पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर आर. पी. वर्मा,
विकास मिश्र ने भी अपना विचार
रखा।
भारत -भारतीय के
संरक्षक विष्णु प्रताप सिंह, रामजी
जायसवाल, सरदारइन्द्रजीत सिंह,
कोषाध्यक्ष प्रहलाद मोदनवाल,
निजाम कुरेशी ने सभी का स्वागत
किया। इस गौरवशाली सारस्वत
यज्ञ के बहुत सारे लोग साक्षी
बने।