प्रयागराज कार्यालय
प्रयागराज। प्रयागराज में संगम की रेती पर माघ मेला 2023 के पांचवें स्नान पर्व माघी पूर्णिमा का स्नान चल रहा है। सुबह 10 बजे तक 10 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में डूबकी लगाई। 6 जनवरी से कल्पवास कर रहे कल्पवासी तथा संत मेला क्षेत्र से विदाई लेंगे। 40 दिन का कल्पवास आज समाप्त हो जाएगा। अब कल्पपवासी अगले साल फिर आने का संकल्प लेते हुए मेला क्षेत्र से विदा लेंगे। आगामी 18 फरवरी को अंतिम स्नान पर्व शिवरात्रि होगी।माघी पूर्णिमा के स्नान पर्व पर प्रशासन ने लगभग 25 लाख श्रद्धालुओं के संगम में आस्था की डुबकी लगाने का अनुमान लगाया है। 2560 बीघे में बसाए गए माघ मेले को 3 जोन और 7 सेक्टरों में बांटा गया है। इसके साथ ही मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 8 किलोमीटर के दायरे में 18 स्नान घाट बनाये गए हैं। कुम्भ मेले की ही तर्ज पर स्नान घाटों पर डीप वाटर बैरिकेडिंग, जाल और घाटों पर रेत भरकर बोरियां लगाई गई हैं।इसके साथ ही स्नान के बाद घाटों पर निकलने वाले श्रद्धालुओं के लिए कुश की घास भी बिछाई गई है। जबकि महिलाओं के लिए सैकड़ों की संख्या में स्नान घाटों पर चेंन्जिग रुम भी बनाये गए हैं। प्रशासन ने माघी पूर्णिमा के स्नान पर्व को लेकर सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम का दावा किया है। मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को देखते हुए पुलिस ने मेले में ट्रैफिक डायवर्जन भी लागू कर दिया है।डॉ. गीता मिश्रा त्रिपाठी ने बताया कि माघी पूर्णिमा शनिवार की रात 9 बजकर 30 मिनट पर ही लग गई। यह रविवार की रात 11 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। यही कारण है कि शनिवार की रात से ही दूर दराज से आए लोगों ने संगम में स्नान करना शुरू कर दिया था। माघी पूर्णिमा इस बार पुष्य नक्षत्र में शुरू हो रही है। सुबह 10 बजकर 45 मिनट से रात 12 बजकर 12 मिनट तक रवि पुष्य योग होगा। ऐसे में आयुष्मान, सौभाग्य, सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।माघी पूर्णिमा में स्नान से हर मनोकामना पूरी होती है। इस बार माघी पूर्णिमा हो गई है। जो श्रद्धालु आज के दिन संगम में डुबकी लगाएंगे उन्हें नकारात्मक ऊर्जा से भी छुटकारा मिल जाएगी। माघी पूर्णिमा पर तेल और घी का दान विशेष फलदाई माना जाता है। अगर पुराणों की बात की जाए तो माघी पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु खुद गंगा में स्नान करने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि गंगाजल के स्पर्श से मन, वचन और कर्म द्वारा किए गए हर पाप धुल जाते हैं।पंडित आचार्य संजय कहते हैं कि माघी पूर्णिमा के दिन संगम में स्नान और दान करने से पूरे माघ मास में स्नान के बराबर ही पुण्य लाभ मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, माघ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं। इसलिए इस स्नान पर्व पर गंगा स्नान और आचमन विशेष फलदायी होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवता भी रुप बदलकर गंगा स्नान के लिए प्रयाग आते हैं।धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक माघी पूर्णिमा संगम की रेती पर चल रहे कल्पवास के पूर्णाहूति का भी समय होता है। इसलिए श्रद्धालुओं को छह कर्म ज़रुर करने चाहिए। उन्हें दान-पुण्य करना चाहिए। यज्ञ करना चाहिए, परिक्रमा करनी चाहिए, छौर कर्म कराना चाहिए और सूर्य को अर्घ्य व तर्पण भी देना चाहिए। इसके साथ ही लोगों को भोजन भी कराना चाहिए।इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेज की प्रयागराज चैप्टर अध्यक्ष डॉ. गीता मिश्रा त्रिपाठी कहती हैं कि माघ के मघा नक्षत्र में पितरों का तर्पण कर उनका आशीर्वाद लेना उत्तम माना गया है। यह संयोग पूर्णिमा पर अमरत्व का संदेश देता है। इसी दिन संगम की रेती पर पौष पूर्णिमा से शुरू हुआ। कल्पवास का कठिन व्रत का भी समापन होता है। इस दिन कल्प वासी विधि विधान से दान-पूजन कर संगम की रेती से आध्यात्मिक शक्ति बटोर कर विदा होते हैं। वहीं, संत महात्मा त्रिजटा स्नान के बाद जाएंगे।पंडित आचार्य संजय ने बताया कि 6 जनवरी 2023 से शुरू हुए माघ मेले में चल रहे यज्ञ अनुष्ठानों कि आज पूर्णाहुति होगी। रविवार को अन्न वस्त्र के साथ ही खीर का दान दिया जाएगा। इसके बाद हवन होगा। जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया गया है। इसी के साथ पूर्णिमा पर माघ मेले में मास पर्यंत कल्पवास कर रहे संत भक्त अपने-अपने शिविरों में भगवान सत्यनारायण की कथाएं सुनने के बाद अपने-अपने आश्रम, डेरे व घरों को लौट जाएंगे। श्रद्धालुओं के माघ मेले से अपने घरों की सकुशल वापसी के लिए भी व्यापक प्रबंध प्रशासन द्वारा किया गया है।कानपुर, लखनऊ रीवा की तरफ जाने वाले कल्प वासियों को पांटून पुल नंबर 4 से दारागंज होते हुए मेला क्षेत्र से बाहर निकाला जाएगा। वाराणसी-जौनपुर की तरफ जाने वाले कल्पवासी काली सड़क, टीकरमाफी आश्रम होते हुए विदा होंगे। पुल नंबर 2 से भी त्रिवेणी मार्ग फोर्ट रोड चौराहा होते हुए नगर क्षेत्र के कल्प वासियों को बाहर निकाला जाएगा।माघी पूर्णिमा के मद्देनजर संगम क्षेत्र में 4 फरवरी की सुबह से ही वाहनों की एंट्री पर रोक लगा दी गई थी। यह रोक 6 जनवरी के दोपहर 12:00 बजे तक या फिर भीड़ समाप्ति होने तक लागू रहेगी। माघी पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की सकुशल वापसी के लिए उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने भी व्यापक प्रबंध कर रखे हैं। यूपी रोडवेज 1800 बसों को चलाने का निर्णय लिया है। रेलवे ने भी मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया है।