यूपी: मुख्तार अंसारी के अलावा ये भी है अपराध के दुनिया के बेताज बादशाह

 यूपी: मुख्तार अंसारी के अलावा ये भी है अपराध के दुनिया के बेताज बादशाह

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लखनऊ। देश के सबसे बड़े सूबे में से एक यूपी इस समय कोरोना से कहीं ज्यादा मुख्तार अंसारी की वजह से चर्चा में है। मुख्तार अंसारी जो पिछले दो वर्षों से यूपी आने से कतराता रहा उसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी की बांदा जेल आना पड़ा। यह बात अलग है कि उसे यूपी ना आना पड़े उसके लिए लाख जत्न किए। लेकिन उसकी सारी कोशिश इस दफा नाकाम रही। जब हम बात मुख्तार अंसारी की करते हैं तो उन लोगों के चेहरे और उनकी काली करतूत जेहन में आने लगती है जिन्होंने कानून के राज को ठेंगा दिखाने की कोशिश की। वैसे तो अपराध की दुनिया में कई नाम हैं। लेकिन मुख्तार अंसारी के अलावा हम चार उन चेहरों के बारे में बताएंगे जिनका विश्वास कानून को अपने हाथों में लेने का रहा।

श्रीप्रकाश शुक्ला

श्रीप्रकाश शुक्ला का 1993 से 98 तक अपराध की दुनिया में तूती बोलती थी। गोरखपुर के गांव मामखोर से निकले पहलवान को अपनी बहन के साथ छेड़खानी इतनी नागवार गुजरी की उसने एक शख्स की हत्या कर दी। उस हत्या के बाद वो बैंकाक भाग गया और जब वापस लौटा तो उसे अपनी सत्ता स्थापित करने की हनक सवार हुई। उसे लगने लगा कि वो हरिशंकर तिवारी या वीरेंद्र शाही क्यों नहीं बन सकता है। अपमे आपराधिक सपने को साकार करने के लिए उसने पहले विधायक रहे वीरेंद्र शाही को अपने रास्ते से हटाया। बाद में बिहार में एक मंत्री की हत्या कर दी और वो इतना दुस्साहसी हो गया कि यूपी के सीएम को मारने की सुपारी ले ली। हालांकि सीएम की सुपारी उसके लिए घातक साबित हुआ और 1998 में मुठभेड़ में मारा गया।

बृजेश सिंह

मुख्तार अंसारी का नाम आते ही बृजेश सिंह का नाम आता है। वाराणसी के धौरहरा के रहने वाले बृजेश सिंह पढ़ने लिखने में होशियार थे। लेकिन आपसी रंजिश की वजह से उनके पिता की हत्या हुई तो बृजेश सिंह को जरायम की दुनिया रास आ गई। बृजेश सिंह तेजी से अपराध की दुनिया में आगे बढ़ते गए तो उनके सामने मुख्तार की चुनौती आ गई। बताया जाता है कि अंसारी गिरोह से उनकी तनातनी कोयले के ठेके के लिए हुई और दुश्मनी इस कदर बढ़ी कि दोनों एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे।

धनंजय सिंह

जौनपुर के रहने वाले धनंजय सिंह का भी इतिहास दागदार रहा है। हाल ही में वो तब चर्चा में आए जब लखनऊ में मऊ के ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि अभय प्रताभ सिंह की हत्या हुई। धनंजय सिंह पर आरोप है कि उन्होंने अभय प्रताप सिंह के हत्यारों को संरक्षण दिया था। हालांकि वो इस तरह के आरोपों से इनकार करते हैं। धनंजय सिंह तब चर्चा में आए जब उनके खिलाफ एमपी के लिए चुनाव लड़ रहे एक उम्मीदवार की लाश पेड़ पर लटकी हुई मिली थी। इसके बाद उन्हें और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी घरेलू मेड को मारने के सिलसिले में हुई थी।

अभय सिंह

फैजाबाद के रहने वाले अभय सिंह शौकिया तौर पर जरायम की दुनिया में शामिल हुए। बताया जाता है कि इन्होंने डीजीपी की गाड़ी से पैसे लूट लिए थे। इसके अलावा एक जेलर पर इसलिए जानलेवा हमला किया कि उसने चश्मा उतार कर शक्ल दिखाने के लिए कहा। लेकिन जेलर की वो बात उन्हें नागवार लगी। इसके साथ ही अभय सिंह अपनी काली फ्लीट के लिए जाने जाते हैं। उनके काफिले में सिर्फ काले रंग की गाड़ियां रहती हैं। अपराध से इतर उन्होंने राजनीति की दुनिया में भी कदम रखा और कामयाब भी हुए। हालांकि कि इस समय वो राजनीतिक संघर्ष में अपनी किस्मत आजमां रहे हैं।


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