(किशन पाण्डेय)
निःशब्द हूँ। क्या कहूँ समझ नहीं आ रहा है। क्या यह वही धरती है जहां प्रभु श्रीराम व प्रभु श्रीकृष्ण जी आये? क्या यह वही धरती है जहाँ नवधा भक्ति के उपदेश में प्रभु श्रीराम ने कहा कि “प्रथम भगति संतन कर संगा” ? क्या यह वही धरती है जहां भगवान ने कहा कि “मोते अधिक सन्त करि लेखा”? क्या यह वही धरती है जहां प्रभु श्रीकृष्ण जी ने अपने पुत्र – पौत्रों को शिक्षा देते हुए कहा था कि संत मेरे हृदय में और मैं संतों के हृदय में निवास करता हूँ अतः कभी संतों की अवमानना मत करना? हृदय द्रवित है कि जहां एक तरफ कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से लड़ाई में पुलिसकर्मियों का योगदान सराहनीय है और उन्हें देवतुल्य माना जा रहा है और वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के पालघर में संतों की नृशंसता पूर्वक हत्या कर दी जाती है और पुलिस बचानें का प्रयास तो दूर की बात है अपितु उन्हीं जेहादियों के बीच फेंक देती है। जो वीडियो आया है उसमें मार शोएब मार शोएब जैसी आवाजें आ रही हैं जिससे स्पस्ट पता चलता है कि यह असुरता किस समुदाय विशेष ने की है। सोचने पर मजबूर हूँ कि यदि वह वीडियो नहीं होता तो क्या ये बात पता भी चलती की संतों के साथ ऐसा निंदनीय कुकृत्य हुआ है क्योंकि 16 अप्रैल की घटना तो हम सब तक पहुंचने में 19 अप्रैल तक का समय लग गया तो यह वीडियो न होता तो किसी को कभी पता ही न चलता कि हुआ क्या है और किया किसने है। निश्चय ही उस स्थान पर पुलिस ने देश को शर्मशार किया है। यह हत्या क्यों हुई क्या मात्र इस लिए कि वो भगवा वेश में थे और हमारे देश मे भगवा को भगवा आतंकवाद कहा जाता है? हमारी सनातन संस्कृति के वृक्षों पर यह कुठाराघात हुआ है आज न सिर्फ संतों की हत्या हुई है अपितु सनातन पर आघात हुआ है। कब तक चलता रहेगा यह सब और कब तक चुप रहेंगे हम सभी कब तक भगवा पर हमला होता रहेगा? ये बात शायद उन असुरों अभी भी नहीं पता चली की यह भगवा है जो सनातन की ध्वजा है, जो सूर्य नारायण के उदित होने का प्रमाण है, जो चंद्रदेव के पूर्ण होने का प्रमाण है, जो यज्ञ कुंड की अग्नि का रंग है जो भारत माता की शान है और इसका न कभी अंत हुआ न ही कभी होगा परंतु यदि अभी भी हम सभी सनातनी एकत्रित नहीं हुए तो बचाने के लिए कोई आने वाला नहीं है। इतनी बड़ी घटना होने पर भी सभी तथाकथित बुद्धिजीवियों की चुप्पी, मीडिया की चुप्पी एवं सभी राजनेताओं की चुप्पी कष्ट दे रही है। अब हम सभी अपने सन्तों, शास्त्रों, सनातन की रक्षार्थ शास्त्र धारण करना ही होगा व एक स्वर में आवाज उठानी होगी। भगवा अमर है ये दिखाना होगा।।
बाल व्यास आराधनाचतुर्वेदी।। (कथावाचिका)