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गोरखपुर-: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के पिता आनंद सिंह बिष्ट का सोमवार सुबह दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में निधन हो गया. बता दें कि नवम्बर 1993 में अजय सिंह विष्ट (योगी आदित्यनाथ) ने अपने घर का त्याग कर गोरक्षपीठ में महंथ अवैद्यनाथ की शरण में आ गये थे. चार महीने तक यहां पर सेवा भाव करने के बाद उन्हें फरवरी महीने में बंसत पंचमी के दिन 1994 में संन्यास ग्रहण कराया गया. जिस दिन उन्होने संन्यास ग्रहण किया उस दिन उनका नया नामकरण हुआ और उनको योगी आदित्यनाथ नाम दिया गया. संन्यास ग्रहण करने वाले व्यक्ति के बारे में मान्यता है कि जिस दिन वो संन्यास ग्रहण करता है उस दिन उसका नया जन्म होता है. और तभी उसे नया नाम भी मिलता है। 1994 में बंसत पंचमी के दिन इन्हे नया नाम योगी आदित्यनाथ का मिला. और इसके बाद इनके पिता के नाम के स्थान पर इनके गुरु महंथ अवेद्यानाथ का नाम आ गया. उसी दिन से इन्होंने घर परिवार सब छोड़ कर नाथ पीठ की मानव कल्याण की जो परंपरा थी उसे अपना लिया. परिवार पीछे छूट गया. और उसी दिन से ये मानव कल्याण के काम में जुट गये. संन्यास ग्रहण करने के बाद एक बार योगी के पिता आनंद सिंह बिष्ट गोरक्षनाथ मंदिर आये थे. और यहां पर उनसे मुलाकात के बाद वापस चले गये. फिर वो भी कभी गोरक्षनाथ मंदिर नहीं आये. न ही उनके परिवार का कोई सदस्य ही कभी गोरक्षनाथ मंदिर आया। उसके बाद नाथ परम्परा के अनुसार 1995 में एक बार सिर्फ वो अपनी माता से भिक्षा मांगने के लिए अपने गांव गये. वहीं पर माता से भिक्षा लिया उसके बाद से योगी आदित्यनाथ कभी भी अपने गांव नहीं गये. पिता का स्थान गुरू महंथ अवैद्यनाथ ने ले लिया तो परिवार का स्थान गोरखपुर की जनता और फिर यूपी की जनता ने ले लिया. आज जब सरकारी कागजों में पिता का कालम आता है तो योगी आदित्यनाथ उस कालम में गुरु अवैद्यनाथ का नाम लिखते हैं. नाथ पीठ की समृद्धि परम्परा को महंथ योगी आदित्यनाथ आगे बढ़ा रहे हैं. इस पीठ ने सदैव मानव कल्याण को ही आगे रखा है. तभी तो कोरोना महामारी के इस संकट की घड़ी में वो प्रदेशवासियों के साथ खड़े रहे अपने पिता के अंतिम दर्शन और अंतिम संस्कार में जाना उचित नहीं समझा।