Loading

(सोनभद्र कार्यालय-7007307485)

सोनभद्र। नारी सशक्तिकरण के लिए अनेक प्रयास त्रेतायुग से लगायत इक्कसवीं शताब्दी तक बखूबी हुए और हो भी रहे है लेकिन लॉक-डाउन पार्ट टू के दौरान जिले में जो कुछ भी छन कर आ रहा है उससे तो यहीं कहा जा सकता है अभी और बहुत कुछ करना बाकी रह गया है। दरअसल दूर की ढोल सुहावन लगती है। नज़दीक आने पर मन जब भर जाता है तो ढोल बे सुरी लगने लगती है। सुबह घर से दफ़्तर निकलते थे तो देर रात लौटते थे। अब कोरोना वायरस ने सब कुछ बदल दिया है। घर में रहते रहते जो पत्नी अच्छी लगती थी। वहीं अब फूहड़, गवाँर लग रही है। जो कभी ज्ञान की गंगा
लगती थी। ऋषियों की अमर वाणी लगती थी। वही अब फूलन देवी लग रही है। आइए कुछ घटनाओं का जिक्र करते है जिससे इस बात का पता चल जाएगा कि पारिवारिक हिंसा सभ्य पढ़े लिखे
लोगों के द्वारा कैसे की जा रही है।

घटना क्रमांक-१
…………………………………
जिले स्तर के एक महत्वपूर्ण विभाग के अधिकारी की दो पत्नियां हैं। अब हैं तो है, उनका कोई क्या उखाड़ लेगा। एक दिन पहली पत्नी के घर गए। शाम को उनके लिए सुरा क्यों नहीं उपलब्ध रहेगी । चीखना में पकौड़ी का मर्चा लग गया। प्लेट
फोड़ दिया। पानी का गिलास पत्नी के मुँह पर दे मारा। परास्नातक पत्नी अपमान का घूँट पीकर न रहती तो क्या करती। कहाँ पारिवारिक हिंसा का शिकार होने का सबूत ले कर गणेश परिक्रमा करती ।

घटना क्रमांक-२
………………………………..
बड़े साहब से डांट खा कर पन्नूगंज जाने के लिए दोपहर घर आए तो आलू- बैगन की सब्जी देख कर ऐसा भड़के की होमवर्क कर रही सात वर्षीय बेटी अपनी माँ से लिपट कर रोने लगी लेकिन साहब लाल-लाल आँख तरेरते धमकी देते एम एस सी पास पत्नी को लताड़ते चले गए। कौन समझाए अफसर जो ठहरे। बड़े अरमान से पिता ने बेटी ब्याही होगी बेटी राज करेगी लड़का
अफसर है।

घटना क्रमांक-३
………………………..
ए भी सरकारी नौकरी में हैं। हज़ारों की कमाई है।महंगा सेंट लगते हैं। ब्रांडेड कपड़ा पहनते है। बड़े बड़े हाकिम भी इस बाबू से अदब से पेश आते हैं । गुरुर पत्नी बहन पर रोज उतरते है। छोटा भाई अपनी भाभी पर हो रहे अत्याचार से परेशान तो है लेकिन कहे किससे, करे क्या।

ग्रामीण क्षेत्रों में
———————–
जिले की सभी 637 ग्राम पंचायतों में शायद ही कोई ऐसी ग्राम पंचायत हो जहाँ खुले आम महिलाएं पारिवारिक हिंसा की शिकार न होती हो। पति के द्वारा पत्नी। पुत्र के द्वारा बूढ़ी माँ। बड़े भाई के द्वारा छोटी बहन। कभी दाल पतली हो गई तो
पिटाई। नमक अधिक हो गया तो सात पुस्त तक के पुरखों को गाली भोजन में देर हो गई तो आफत।
कोई बात सुनने में देर हो जाय तो ज़लालत। कितनी कठिन है एक औरत की ज़िंदगी हर घर में
इसके उदाहरण मिल जाएंगे। तालाबंदी भाग दो के आगे क्या होगा कौन जानता है। तीन मई के बाद तालाबंदी तीन की शुरुआत हो जाय तो कोई आश्चर्य नहीं। ऐसे में पारिवारिक हिंसा की वारदातें बढ़ जाय तो ताज्जुब नहीं।

!अभिमत!
………………………………
पूर्व विधायक व नारी सम्मान की पोषक रूबी प्रसाद का कहना है कि पारिवारिक हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए प्रावधान
बनें हैं। उन्हें आगे आना चाहिए और हिंसा के लिए ज़िम्मेदार रिश्तेदार के ख़िलाफ़ कार्रवाई
करने के लिए प्राथमिकी दर्ज़ कराने के लिए ड्योढ़ी के बाहर निकलना चाहिए। अब घूँघट की ओट में हिंसा सहने का समय लद गया है।

वही नारी सशक्तीकरण पर शिक्षा के माध्यम से बालिकावों को जागरूक करने वाली शिक्षिका संगीता श्रीवास्तवा एवं युवतीयो को उनकी शक्ति का एहसास कराने वाली वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री ऊषा चौबे ने उन्हें याद दिलाया कि पुरुष प्रधान समाज के सुरमा रियो ओलंपिक में कहाँ थे। पीवी सिंधू शटलर रज़त और साक्षी मलिक ब्रांस मेडल ब्राज़ील में न लाई होतीं तो सवा अरब आबादी वाले लोगो को चुल्लू भर पानी डूब मरने को न मिला होता।
सवा अरब आबादी मिल कर एक बेटी का इज्ज़त नही दे पा रहे है जबकि देश की दो बेटियों ने रियो
ओलंपिक में सवा अरब लोगों की
इज्ज़त बचा ली थी।


इसी तरह भाजपा नेत्री शशी त्रिपाठी का कहना है, ‘ जब देश की बेटी खड़ी होती है, तभी जीत बड़ी होती है। बेटी है तो कल है। इन्हें इज्जत दो। बराबरी का दर्जा दो। यंत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्तेतत्र देवता।

– साहित्यकार ,कवि व अधिवक्ता राकेश शरण मिश्र की माने तो सभ्यता संस्कृति के बिना जिंदा नहीं रहती। सभ्य आदमी ही सभ्यता के बारे में जान सकता है। सहनशक्ति, धैर्य, संतोष से सभ्यता पैदा होती है। मनुष्य जैसा व्यवहार करता है उसके लड़के-लड़की वैसा ही व्यवहार भविष्य में उसके साथ भी करने वाले हैं। यह सोच कर व्यवहार
करना चाहिए।

(घरेलू हिंसा अधिनियम)………………………………….
2005 भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसका उद्देश्य घरेलू हिंसा से महिलाओं को बचाना है और पीड़ित महिलाओं को कानूनी सहायता उपलब्ध कराना है। यह व्यवस्था
26 अक्टूबर 2006 से लागू है। शारीरिक दुर्व्यहार , स्वास्थ्य को ख़तरा, लैंगिक दुर्व्यवहार, अपमान, उपहास, गाली देना, मानसिक रूप से परेशान करना मौखिक व भावनात्मक आदि के लिए तकरीबन 20 धाराओं में व्यवस्था है। यह जानकारी पूछने पर विजय शंकर त्रिपाठी एडवोके ने
मंगलवार 29 अप्रैल 2020 को फोन से दी। ए वाराणसी जिले के पद्दमापुर (परनापुर गांव) के मूल
निवासी है जिनका हाल मुकाम रॉबर्ट्सगंज ब्लॉक अंतर्गत बभनौली कलां ग्राम पंचायत में है।