सोनभद्र-: चीन देश के वुहान शहर से निकल कर कोरोना वायरस वैश्विक महामारी का रूप ले लिया है। कोरोना रूपी राक्षस सम्पूर्ण मानव जाति को निगल जाने के लिए उद्यत है। सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक स्थिति चिंतनीय हो गयी है। सम्पूर्ण विश्व आहत हैं। ऐसी स्थिति में हम भारतवासियों को धैर्य का परिचय देने की आवश्यकता है।
(संस्कृत में एक श्लोक है)
“त्याज्यं न धैर्यं विधुरेपि काले, धैर्यात् कदाचित स्थितिमाप्नुयात्। जाते समुद्रेपि हि पोतभंगे , सांयान्त्रिको तर्तुमेव इच्छति”
संकट के समय धैर्य नहीं त्यागना चाहिए। नाव डूबने की स्थिति में नाविक तैरकर समुद्र पार करने की इच्छा रखता है। परम् सौभाग्य की बात है कि हमारे देश को मोदी जी जैसा युगद्रष्टा जननायक मिला हुआ है जो देश के सम्पूर्ण नागरिकों की सुरक्षा के प्रति सचेष्ट है। विश्वकल्याण की भावना से अनुप्राणित प्रधानमंत्री अपनी टीम के साथ अथक परिश्रम कर रहे हैं। हमें भी हर प्रकार से सहयोग करने की आवश्यकता है।
(जय जयशंकर प्रसाद ने अपने उपन्यास तितली में लिखा है)
प्रसन्नता से परिस्थिति को स्वीकार करके जीवन-यात्रा सरल बनायी जा सकती है। (विच्छृंखलता) किसी भी राष्ट्र को कमजोर बनाने में सक्षम होती है। कतिपय मानवतावादी दृष्टिकोण न रखने वाले लोग हमारे देश के लिए अभिशाप बने हुए हैं।आवश्यकता है चिकित्सकों व भारत सरकार द्वारा इस संक्रामक रोग से बचाव के मूलमन्त्रों पर ध्यान देने की।
1- अनावश्यक यात्रा से बचें। विशेष परिस्थिति में ही घर से बाहर निकलें।
2- सदैव बाहर से आने के बाद अपने हाथों को साबुन से बीस से तीस सेकेंड तक अवश्य धोयें।
3- लोगों से छः फीट की दूरी सदैव बनाये रखें।
4- अपने हाथ को अपने मुंह नाक से दूर ही रखें जिससे संक्रमण की संभावना न बन सके।
5- सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचें।
6- मास्क अथवा गमछा प्रयोग में लायें।
7- संक्रमण की स्थति में स्वयं को दूसरों से अलग करके भारत सरकार द्वारा निर्देशित नम्बर पर फोन करें अथवा नजदीकी अस्पताल को सूचित करें।
“मंदिरों में दीप तो कोई भी जला देगा। आंधियों के दर पे हमें एक दिया जलाना है“
यदि हम सभी पूर्णमनोयोग से नियमों का अनुपालन करेंगे तो निश्चित रूप से अपने देश से इस महामारी को भगाने में समर्थ होंगे। आइए इस जंग में हम सभी बहुमूल्य योगदान प्रदान करें। अन्त में यही कहना चाहूंगा।
“छोड़िए न हिम्मत, बिसारिए न प्रभु नाम”
आपका
धनंजय दुबे-(शिक्षक)
आदित्य बिड़ला इंटर कालेज, रेणुकूट, सोनभद्र