– संत बड़े परमार्थी, घन ज्यों बरसे आय।
– यज्ञ हवन-पूजन, अनुष्ठान बंद।।
सोनभद्र-: संत विटप सरिता गिरी धरनीं। परहित हेतु संबंध की करनी। गोस्वामी तुलसीदास की यह वाणी सनातन वैदिक धर्म का अनुशरण करने वाले भाविकों के लिए इस समय न केवल प्रभावित कर रही है अपितु खुले में अपनी इच्छा के अनुसार पूजन, अर्चन पुरोहितों के द्वारा न करा पाने का अफसोस भी है। संत, कथावाचक, कर्मकाण्ड, पूजा-पाठ करने-कराने वालों के लिए सबसे बड़ी समस्या उनकी यजमानों से कटे
सम्पर्क के कारण बंद चल रही आकाश वृत्ति (दक्षिणा) से भी है। कोरोना विषाणु जनित वैश्विक
महामारी कोविड 19 के कारण चल रहे लॉकडाउन द्वितीय चरण के 11 वें दिन परशुराम जयंती पर शनिवार को कुछ ऐसे ही लोगों से पत्रकारों से लोगों की भेंटवार्ता हुई। जिनके जीविकोपार्जन का साधन और रुचि का काम ठप चल रहा है।
बाल व्यास साध्वी एवं कथावाचक आराधना चतुर्वेदी सदैव श्रद्धालुओं के बीच सत्संग, भजन, कीर्तन प्रवचन से जुड़ी रहने वाली ऋषि कुमारी विदुषी कहती है कि सोसल डिस्टेंसिंग के कारण प्रभु भक्तों के बीच न जा पाने से मन उदास रहता है। अनुरोध करने पर उन्होंने लोगो के लिए सन्देश दिया की ईश्वर एक से सवा नही हो सकता। दो होने का तो प्रश्न ही नही है। उपासना पद्धति भिन्न होने से न धर्म अलग होता है न ही परमपिता परमेश्व ही। हम सबका मालिक एक है।
१. वही युवा कथावाचक आचार्य पंडित विनय कुमार शुक्ल जो घोरावल क्षेत्र के केवली गांव के रहने वाले है और देश के विभिन्न क्षेत्रो मे यजमानो के विशेश आग्रह पर कथावाचन करके धर्म व भारतीय संस्कृति की रक्षा करने वाले कहते है कि इस समय यजमानों के यहाँ पूजा, पाठ, अनुष्ठान आदि न होने से पंडितों की दक्षिण बंद है। उनकी आय के श्रोत तो यही था। जिससे परेशानी तो है लेकिन इस वायरस से बचने के लिए घर के भीतर ही रहना आवश्यक है।
इसी क्रम मे पण्डित शिवा धीन शुक्ल घोरियाँ, पण्डित तेजमणि पाण्डेय गांव अक़्छोर, पण्डित महेश शुक्ल घुआस कलां राबर्ट्सगंन, पण्डित रामेश्वर मिश्र बभनियाव और पण्डित अंकित मिश्र ने जो कुछ भी कहा उसे हम सभी को जानने योग्य है।
(आचार्यों के अमृत वचन)
संत बड़े परमार्थी, घन जो बरसे आय। छप्पन बुझावें और कि, अपनों पारस लाय।।
कबीर की यह अमरवाणी सनातन सत्य है । सनातन वैदिक धर्म का उद्देश्य है ‘ज्ञान’ तथा रमज़ान के पाक महीने का उद्देश्य है ‘ईमान’
और बाइबिल का उद्देश्य है ‘प्रेम’ ऐसे मे हम सभी को लॉक-डाउन को पूरी तरह से सफल बनाकर कोरोना को हराने और विश्व के कल्याण, प्राणियों में सदभावना लाने और धर्म की जय तथा अधर्म के नाश के लिए तीनो तत्वों की नितांत आवश्यकता है । अर्थात ‘ज्ञान ‘ ‘ईमान’ और ‘प्रेम’ तीनों को मिलाकर एक रस जो बनेगा उससे हम कोई भी महासंग्राम में विजयी हो जाएंगे। इसी को ताकत बनाकर हम कोरोना वायरस को पराजित करेंगें।
(प्रेरक विचार करें आत्मसात)
बोझ गाँव के निवासी चंदौली, सोनभद्र समेत कई जनपदों में कर्मकाण्ड, यज्ञ, पूजा, अनुष्ठान
कराने के लिए चर्चित कृपाचार्य, घोरावल क्षेत्र के मुडिलाडीह (पठका गाँव) गाँव के दिव्यांग पण्डित राधेश्याम पाठक ‘शास्त्री जी’ और तेंदू गांव के मूल निवासी पण्डित उमापति तिवारी ने वैश्विक महामारी से निज़ात पाने के लिए वैदिक सनातन संस्कृति की विज्ञान सम्मत आचार पद्धति अपनाने
और प्राकृतिक जीवन जीने के लिए पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने को कहा। स्नान, ध्यान, संध्या, योग, आसान , प्राणायाम, व्यायाम, शंखध्वनि हवन, अध्ययन, घर मे अध्यापन, जप, तप, दरिद्रनारायण को भोजन, असहायों के प्रति संवेदनशील रहने आदि पर आचार्यों ने बल दिया है।
(छात्रों के लिए संदेश)
पण्डित मोहन पाठक पठका गांव के छात्र-छात्राओं के लिए कहा कि.. (अभिवादन शीलस्य नित्यं वृद्धप्सोविनः। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या
यशोबलम।। जो बालक प्रातः उठकर बड़ों
का अभिवादन करते है उनकी आयु में वृद्धि होती है । उन्हें विद्या प्राप्त होती है। वे संसार में यशस्वी बनते हैं और बल में भी निरन्तर वृद्धि होती है।
(इनसेट में)
पाक रमज़ान महीने में हम लोग
घरों में नमाज़ अदा करेंगे। रोज़
इफ़्तार सामूहिक रूप से नहीं
करेंगे। घर मे ही रोज इफ़्तार
करना समय की मांग है । हमें
कोरोना वायरस से उपजी महामारी से बचाव के लिए वे सभी उपाय कर रहे है जो केंद्र व
प्रदेश सरकार की ओर से बताए
गए है जिसे जिला प्रशासन बताता रहता है ।
यह बातें हाज़ी मोहम्मद फ़िरोज
खां और अयूब खां ने रमज़ान के
पहले दिन शनिवार को कही ।