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सोनभद्र । जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने करमा थाना क्षेत्र के सिरसिया ठुकराई में स्थित पत्थर व मोरंग खनन के तीन खदानों पर रोक लगा दी है। पट्टाधारकों पर फर्जी खतौनी से वन विभाग से एनओसी लेने का आरोप है। जिला प्रशासन ने शासन को पत्रावली भेजकर उक्त जमीन वन भूमि है या नहीं, मामले को साफ करने की मांग की है।

जिलाधिकारी ने राबट् र्सगंज तहसील के चुर्क के समीप बिजरी हरहुआ गांव निवासी बिंदुवती देवी पत्नी रामचंद्र रत्ना, पसही गांव की नीलम पाठक पत्नी यादवेंद्र पाठक व सिरसिया ठकुराई रामप्रवेश यादव पुत्र लल्ला यादव की सिरसिया ठकुराई में स्थित खदानों में खनन करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। सिरसिया ठकुराई गांव निवासी कंतलाल पुत्र लालमनी ने 20 मार्च 2020 को शिकायती पत्र जिला प्रशासन को दिया था। कहना था कि तीनों पट्टाधारकों ने फर्जी खतौनी के जरिए प्रभागीय वनाधिकारी सोनभद्र से एनओसी प्राप्त कर खनन कार्य कर रहे हैं। जबकि उक्त भूमि वन क्षेत्र में स्थित है। बावजूद इसके खनन पट्टा के लिए प्रभागीय वनाधिकारी ने स्थल निरीक्षक कर छह जून 2011 को अनापत्ति निर्गत की गई थी। जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लिखित है कि प्रस्तावित खनन पट्टा क्षेत्र वन भूमि नहीं है। सच्चाई यह है कि लीज पत्रावली में प्रस्तुत खतौनियों व सरकारी अभिलेख की खतौनी में काफी अंतर है। जिला प्रशासन से लेकर वन विभाग तक के अधिकारियों को एनओसी निरस्त करने के लिए कई बार पत्र दिया गया लेकिन कार्यवाही न होने पर कंतलाल उच्च न्यायालय की शरण में चले गए। न्यायालय से डायरेक्शन मिलने के बाद जिलाधिकारी एस राजङ्क्षलगम ने अगस्त के प्रथम सप्ताह में तीनों खदानों में खनन पर प्रतिबंध लगा दिया।

प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से हो रहा खनन

शिकायतकर्ता कंतलाल के मुताबिक जिलाधिकारी के प्रबंध के बावजूद सिरसिया ठकुराई में स्थित तीनों खदानों में धड़ल्ले से खनन किया जा रहा है। प्रतिबंध लगाने संबंधी डीएम पत्र को लेकर कुछ ग्रामीणों के साथ शनिवार को करमा थाना भी गए लेकिन प्रभारी निरीक्षक ने खनन रोकने पर हाथ खड़े कर दिए। सिरसिया ठकुराई के तीन खदानों में खनन पर रोक लगाई गई है। वन भूमि है या नहीं, इस संबंध में शासन से निर्देश मांगा गया है। एनओसी के लिए लगाए गए पट्टाधारकों के खतौनी की नए सिरे से जांच भी कराई जा रही है।