(सोनभद्र कार्यालय)
● कार्यक्रम विशेष-सत्संग, महाआरति,यज्ञ,पौधारोपण व भण्डारा सम्पन्न
ओबरा(सोनभद्र)। स्थानीय शनिदेव नगर स्थित शनि मंदिर पर गुरुवार को शनि जंयती सनातनी विधि विधानपुर्वक मनायी गया। शनि मंदिर पीठाधीश्वर बालयोगेश्वरानंद एएन स्वामी शनिदेव महाराज के मुखार बिन्दु से शनिदेव की भव्य गाथा को श्रद्धालुओं ने श्रवण किया, साथ ही हिन्दू धर्म के मुल सनातनी परम्परा के तहत गौ सेवा कर पांच प्राणदायनी पौधों को मंदिर प्रांगण में रोपित किया गया। वहीं बताया गया कि हर अमावस्या का सनातन धर्म में बड़ा महत्व है। परंतु ज्येष्ठ अमावस्या का विशेष महत्व है, क्योंकि इस तिथि को न्यायकारक ग्रह शनि देव का जन्म हुआ था। आमतौर से शनि का नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं। हों भी क्यों न, ग्रहों के राजा सूर्य के पुत्र शनि की दृष्टि ने सूर्य देव को ही रोगी बना दिया था, जिसे उन्होंने शिव की तपस्या कर दूर किया था। अमावस्या के दिन अपने पितरों को अर्पित किया गया भोग और तर्पण हमारे बहुत से संकटों को समाप्त कर जीवन पथ पर विकास का मार्ग उपलब्ध कराता है। पृथ्वीलोक पर विचरण करने वाले प्रत्येक जीव जंतुओं के जीवन चक्र में शनि ग्रह दशा का होना पौराणिक कथाओं में उल्लेखित है। इसलिए देवादिदेव शनिदेव के कुप्रभावओं से बचने के लिए आराधना और मनोयोग को जीवन में साधना अत्यन्त आवश्यक है, वैसे भी सभी ग्रहों में शनि ग्रह के प्रभावों की पारम्परिक मान्यता असीमित है। कोरोना जैसी महामारी को मद्देनजर रखते हुए समय समय पर भारतीय संस्कृति व सभ्यता के अनुसार हवन पुजन कर संक्रमण के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है, और आसपास के वातावरण को भी शुध्द बनाया जा सकता है। शांति, सौन्दर्य व वैभव का स्पर्श माध्यम की कल्पना भी शनि आराधना के कर पाना असंभव है क्योंकि राशियों में शनि ग्रह की असमान दशा लोकदशा को भी भंग कर सकती है। जो जीवन की विफलता का कारण बन जायेगी| यदि शनिदेव की कृपा बनी रहे तो अन्य ग्रह दशाओं में संयोग सुमेल साबित होता है, और जीवन में सुख शांति व कीर्ति बनी रहती है। साथ ही उत्तम मनोयोग स्थापित होता है। शनिदेव को न्याय का देवता भी माना जाता है क्योंकि जटिल से जटिल समस्याओं को स्मरण मात्र से खत्म करने की अपार शक्ति के जनक है, कहा गया है-जंहा दृष्टि, तंहा सहाय। महाराज जी ने कहा कि सनातन धर्म का प्रचार प्रसार ही जीवन का मुल उद्देश्य है, सुखद बात यह है कि गौ सेवा ट्रस्ट का भी एक वर्ष पुरा हुआ है, सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया यही संत संस्कृति है जिसका पालन करना ही सम्पुर्ण जीवन है। पुजन अर्चन उपरान्त सत्सगं, यज्ञ और महाआरति संपन्न हुआ। मंदिर समिति व्दारा भण्डारे का आयोजन किया गया, जिसमें मंहत नंद किशोर चौबे, नगर पंचायत की अध्यक्षा प्रानमति देवी, प्रमुख समाजसेवी राजसुशील पासवान, राहुल पांडेय, पुर्व अध्यक्ष उमाशंकर सिंह, वार्ड 18 के सभासद विकास सिंह, पनारी के पुर्व ग्राम पंचायत सदस्य रामलाल जायसवाल, केएन सिंह, अरविन्द सोनी, समीर माली, विष्णु प्रसाद गुप्ता, सत्यप्रकाश गुप्ता,शेषनाथ गुप्ता, अभिमन्यु सिंह, डब्लु गुप्ता, धुरन्धर शर्मा, सुनील सिंह, प्रदीप कुमार, भोलानाथ उपाध्याय, महेश शुक्ला, मनिक पासवान, बिटन सिंह, रजत शर्मा, गुलाब दास, विजय भारत सिंह, सीएम सिंह, कमलेश उपाध्याय, नेहा सिंह, गीता सिंह, सविता देवा, कविता मौर्य, विमला देवी, राजवन्ती, राजा गुप्ता, सिब्बु शर्मा इत्यादि लोग मौजुद रहे।